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बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को अदालत ने सुनाई फांसी की सजा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत ने गंभीर आरोपों के तहत फांसी की सजा सुनाई है। इस फैसले ने न केवल बांग्लादेश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मचा दी है। अदालत ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराया है। इसके साथ ही, पूर्व गृह मंत्री और पुलिस महानिरीक्षक के खिलाफ भी कार्रवाई का आदेश दिया गया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
 

शेख हसीना के खिलाफ अदालत का फैसला


नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर लगे पांच गंभीर आरोपों के संबंध में अदालत ने अपना निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है, जिससे न केवल बांग्लादेश में बल्कि वैश्विक स्तर पर हलचल मच गई है।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध करने का दोषी पाया है। इसके साथ ही, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल के खिलाफ भी कार्रवाई का आदेश दिया गया है।

कोर्ट ने शेख हसीना को भगोड़ा घोषित किया
जस्टिस मोहम्मद गोलाम मजूमदार की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने कहा कि ये तीनों आरोपी प्रदर्शनकारियों की हत्या में शामिल थे, जिससे देश में व्यापक हिंसा भड़की। कोर्ट ने शेख हसीना और कमाल को भगोड़ा घोषित किया और चौधरी अब्दुल्ला को सजा देने की बात कही।

कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने यह भी कहा कि हसीना की सरकार ने छात्रों की मांगों को अनसुना किया। जब छात्रों ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया, तो पूर्व पीएम ने उन्हें ‘रजाकार’ कहकर अपमानित किया। इस बयान के बाद छात्रों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने हिंसा का सहारा लिया।

हिंसा को नियंत्रित करने के लिए शेख हसीना ने कठोर कदम उठाने का आदेश दिया। उनकी पार्टी आवामी लीग के छात्र संगठनों ने ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया। 5 अगस्त को चंखारपुल में छह प्रदर्शनकारियों की हत्या की गई थी, जो शेख हसीना के आदेश पर हुई थी।

बांग्लादेश में हिंसा
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल बांग्लादेश में हुई हिंसा में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच 1400 लोगों की जान गई और हजारों लोग घायल हुए। हालात बिगड़ने के बाद, शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को देश छोड़ दिया था। तत्कालीन गृह मंत्री कमाल भी देश से भाग गए थे। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार पिछले एक साल से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, लेकिन भारत ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.