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बच्चों में स्क्रीन टाइम का प्रभाव: स्वास्थ्य के लिए खतरा

हाल के अध्ययन में पता चला है कि भारत में छोटे बच्चे औसतन 2.22 घंटे प्रतिदिन स्क्रीन पर बिताते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है। यह अध्ययन बच्चों के विकास, दृष्टि समस्याओं और स्क्रीन टाइम को कम करने के उपायों पर प्रकाश डालता है। माता-पिता को बच्चों की आंखों और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। जानें कैसे स्क्रीन टाइम को नियंत्रित किया जा सकता है और बच्चों को स्वस्थ आदतें सिखाई जा सकती हैं।
 

बच्चों में स्क्रीन टाइम और इसके प्रभाव


बच्चों में स्क्रीन टाइम का प्रभाव: यदि आपका बच्चा भी घंटों तक स्क्रीन के सामने बैठता है, तो यह खबर आपके लिए चिंताजनक हो सकती है। जून 2025 में, AIIMS रायपुर ने एक अध्ययन किया, जो Cureus पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। शोध में पाया गया कि भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चे औसतन 2.22 घंटे प्रतिदिन स्क्रीन पर बिताते हैं। यह समय WHO और भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी द्वारा सुझाए गए समय से दोगुना है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि दो साल से कम उम्र के बच्चे भी प्रतिदिन 1.23 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं। (बच्चों में डिजिटल लत)


अधिक स्क्रीन टाइम के हानिकारक प्रभाव

कई शोधकर्ताओं ने पाया है कि:


• लगातार स्क्रीन देखने से छोटे बच्चों का विकास धीमा हो जाता है, विशेषकर बोलने और भाषा सीखने की क्षमता प्रभावित होती है।


• लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से मायोपिया (नज़दीकी दृष्टि) का खतरा बढ़ता है।


• बच्चे अधिक चिड़चिड़े हो जाते हैं, नींद में बाधा आती है, और दूसरों के साथ बातचीत करने की आदत कम होती है।


• कोरोना महामारी के दौरान, ऑनलाइन कक्षाओं और माता-पिता के घर से काम करने के कारण बच्चों का स्क्रीन टाइम और बढ़ गया है।


बच्चों की आंखों और स्वास्थ्य की सुरक्षा कैसे करें

अध्ययन के अनुसार, माता-पिता इन आसान उपायों से बच्चों का स्क्रीन टाइम कम कर सकते हैं:


1. बिना स्क्रीन का क्षेत्र बनाएं - जैसे कि खाने की मेज और बेडरूम में मोबाइल लाने की अनुमति न दें।


2. खाने के दौरान मोबाइल का उपयोग न करें, ताकि बच्चे भी यह आदत अपनाएं।


3. 20-20-20 नियम अपनाएं - हर 20 मिनट में 20 फीट दूर किसी चीज़ को 20 सेकंड तक देखें।


4. नीली रोशनी के फ़िल्टर वाले चश्मे का उपयोग करें, ताकि आंखों पर कम प्रभाव पड़े।


5. अच्छी रोशनी में काम करें; स्क्रीन पर सीधी तेज रोशनी या धूप न पड़ने दें।


6. खुद अच्छे आदतें अपनाएं - यदि माता-पिता सीमित स्क्रीन टाइम का उपयोग करते हैं, तो बच्चे भी सीखेंगे।


7. ऑफलाइन खेल और अध्ययन को बढ़ावा दें - किताबें पढ़ें, बच्चों को बाहरी या आंतरिक खेलों में शामिल करें।


8. जागरूकता फैलाएं - स्कूल, डॉक्टर और माता-पिता को मिलकर बच्चों में स्वस्थ स्क्रीन आदतें विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।


नियमित आंखों की जांच आवश्यक है

जैसे-जैसे बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है, नियमित आंखों की जांच भी जरूरी है। स्कूलों और माता-पिता को मिलकर बच्चों के लिए आंखों की जांच शिविर आयोजित करने चाहिए, ताकि मायोपिया, सूखी आंखें और दृष्टि समस्याओं का समय पर इलाज किया जा सके।


स्क्रीन टाइम के लिए 30-30-30 नियम क्या है?

यहां चार सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें हर माता-पिता को अपने बच्चों को सिखाना चाहिए और खुद भी पालन करना चाहिए। 30 x 30 x 30 नियम: हर 30 मिनट में स्क्रीन से अपनी आंखें हटा कर 30 सेकंड के लिए कम से कम 30 फीट दूर किसी चीज़ पर ध्यान दें। यह तकनीक आंखों को नम बनाए रखने और फोकसिंग तंत्र को रीसेट करने में मदद करती है। इससे बच्चे की दृष्टि को नुकसान नहीं होता।


डिजिटल युग में नई सोच

अब, केवल स्क्रीन टाइम को सीमित करना पर्याप्त नहीं है। हमें बच्चों में डिजिटल साक्षरता, सही स्क्रीन आदतें और आंखों की देखभाल के बारे में जागरूकता फैलानी होगी।


भविष्य में, जब स्मार्ट कक्षाएं और डिजिटल शिक्षा सामान्य हो जाएंगी, तो स्कूलों में बच्चों को स्वस्थ डिजिटल प्रथाओं के बारे में सिखाना आवश्यक होगा। केवल माता-पिता, शिक्षक, डॉक्टर और नीति निर्माता मिलकर एक स्क्रीन-स्मार्ट पीढ़ी का निर्माण कर सकते हैं। एक ऐसी पीढ़ी जो डिजिटल दुनिया में आगे बढ़े, लेकिन तेज दिमाग और स्वस्थ आंखों के साथ।


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