बच्चों में ऑटिज्म: पहचान, लक्षण और प्रबंधन के तरीके
ऑटिज्म क्या है?
ऑटिज्म एक मानसिक विकार है, जो बच्चों से लेकर वयस्कों में देखा जा सकता है। हालांकि, कई लोग ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) के बावजूद सामान्य जीवन जीते हैं। ऐसे व्यक्तियों में कुछ विशेषताएँ होती हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी होती हैं। जब ये चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं, तो परिवार के साथ रहना मुश्किल हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बचपन में इसका सही समय पर पता लगाया जाए, तो बच्चों को आवश्यक कौशल सिखाना आसान हो जाता है, जिससे उनकी जिंदगी में सुधार होता है।
ऑटिज्म के लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार, ऑटिज्म से प्रभावित व्यक्तियों में कुछ विशेषताएँ होती हैं, जो अन्य लोगों में नहीं पाई जातीं। हालांकि, कुछ कमियाँ भी हो सकती हैं, जो सामान्य जीवन जीने में बाधा डालती हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऑटिज्म का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन विभिन्न प्रकार की थेरेपी से स्थिति में सुधार संभव है।
बच्चों में ऑटिज्म की पहचान करने के लिए कुछ संकेत हैं। यदि कोई बच्चा माता-पिता या परिचितों को बुलाने पर प्रतिक्रिया नहीं करता है, तो यह ध्यान देने योग्य है। इसके अलावा, यदि बच्चा बातचीत के दौरान आँखें नहीं मिलाता है या 9 महीने की उम्र में अपने नाम को पहचानने में असमर्थ है, तो यह भी एक चेतावनी संकेत हो सकता है।
ऑटिज्म के अन्य संकेत
बच्चों में ऑटिज्म के कुछ अन्य लक्षणों में शामिल हैं: 1.5 साल की उम्र में बच्चों का किसी चीज़ पर प्रतिक्रिया न करना, 2 साल की उम्र में दूसरों की भावनाओं को समझने में कठिनाई, और 3 साल की उम्र में अन्य बच्चों के साथ खेलने में रुचि न दिखाना। 4 साल की उम्र में कल्पना करने में असमर्थता और 5 साल की उम्र में गाने या नृत्य जैसी गतिविधियों में भाग न लेना भी संकेत हो सकते हैं।
इसके अलावा, कुछ व्यवहार जैसे कि बार-बार एक ही शब्द या वाक्य को दोहराना, एक ही प्रकार के खिलौनों से खेलना, और रूटीन में बदलाव को स्वीकार न करना भी ऑटिज्म के संकेत हो सकते हैं।