बच्चों के आत्मविश्वास को कमजोर करने वाली माता-पिता की आदतें
बच्चों के आत्मविश्वास को प्रभावित करने वाली आदतें
पालन-पोषण में कुछ अनजानी आदतें बच्चों के आत्मविश्वास को धीरे-धीरे कमजोर कर सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप, बच्चे आगे बढ़ने के अवसर पर हिचकिचाते हैं, अपने ऊपर विश्वास नहीं कर पाते और दूसरों से पीछे रह जाते हैं।
यहां 5 सामान्य पालन-पोषण की आदतें दी गई हैं जो बच्चों के आत्मविश्वास को भीतर से तोड़ सकती हैं। आइए जानते हैं कौन सी आदतें बच्चों के कोमल मन को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
1. हर मामले में बाधा डालना या बार-बार आलोचना करना
यह कैसे हानिकारक है:
"तुम यह नहीं कर सकते", "तुम हमेशा गलत करते हो" जैसी बातें बच्चों को यह विश्वास दिलाती हैं कि वे सक्षम नहीं हैं।
धीरे-धीरे, बच्चा अपनी बात कहने, पहल करने या कुछ नया करने से रुक जाता है।
सही तरीका:
प्यार से गलतियों को सुधारने का तरीका बताएं।
सकारात्मक प्रोत्साहन दें: "अगली बार तुम बेहतर करोगे", "तुममें क्षमता है।"
2. दूसरों से तुलना करना
यह कैसे हानिकारक है:
“देखो शर्मा जी का बेटा कितना अच्छा है”, “तुम कभी उसके जैसे नहीं बन सकते” – ऐसी बातें बच्चे की आत्म-सम्मान को नष्ट कर देती हैं।
बच्चा या तो जलन महसूस करता है या खुद को हीन समझता है।
सही तरीका:
बच्चे की अपनी ताकत को पहचानें और उसकी सराहना करें।
उसकी प्रगति की तुलना उसके पिछले प्रदर्शन से करें, न कि दूसरों से।
3. बच्चे की बातों को नजरअंदाज करना या अनसुना करना
यह कैसे हानिकारक है:
जब बच्चे की भावनाओं, सवालों या शब्दों को बार-बार नजरअंदाज किया जाता है, तो वह मान लेता है कि उसकी बातें महत्वपूर्ण नहीं हैं।
इससे उसका आत्मविश्वास और संवाद करने की क्षमता कम हो जाती है।
सही तरीका:
बच्चे की बातों को ध्यान से सुनें, भले ही आप व्यस्त हों; बाद में उसे समय दें।
छोटे सवालों को भी गंभीरता से लें।
4. हर निर्णय में हस्तक्षेप करना या बच्चों को नियंत्रित करना
यह कैसे हानिकारक है:
हर बार जब माता-पिता कहते हैं “यह मत करो, ऐसा मत करो, ऐसे मत बोलो,” तो यह बच्चे के निर्णय लेने की हिम्मत को छीन लेता है।
बच्चा डरता है कि जो भी वह करेगा, वह गलत होगा।
सही तरीका:
बच्चे को छोटे निर्णयों में चुनाव की स्वतंत्रता दें।
उसके निर्णय का समर्थन करें, भले ही वह गलत हो।
5. बच्चों के सामने खुद को नीचा दिखाना या नकारात्मक होना
यह कैसे हानिकारक है:
यदि माता-पिता हमेशा कहते हैं “मैं कुछ नहीं कर सकता”, “मेरी किस्मत खराब है” – तो बच्चा भी यही सोचने लगता है।
यह उसके सोचने के तरीके और आत्म-छवि को प्रभावित करता है।
सही तरीका:
बच्चे के सामने अपनी सकारात्मक छवि दिखाएं।
अपनी संघर्षों के बारे में बताएं लेकिन यह भी दिखाएं कि आपने इसे कैसे संभाला।
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