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बच्चों की सफलता में बाधा डालने वाली माता-पिता की आदतें

हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे सफल हों, लेकिन कई बार उनकी आदतें बच्चों की सफलता में बाधा डाल सकती हैं। इस लेख में हम उन आदतों पर चर्चा करेंगे, जैसे अत्यधिक नियंत्रण, दूसरों से तुलना, गलतियों पर डांटना, और भावनात्मक समर्थन की कमी। जानें कैसे ये बातें बच्चों के आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती हैं।
 

बच्चों की सफलता के लिए माता-पिता की भूमिका

हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे उनसे भी अधिक सफल हों और जीवन में ऊंचाइयों को छुएं। इसके लिए वे बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देते हैं।


लेकिन क्या केवल यही पर्याप्त है? बच्चे की सफलता के लिए कई कारक महत्वपूर्ण होते हैं। सबसे पहले, यह आवश्यक है कि उनकी परवरिश इस तरह की जाए कि वे खुले विचारों वाले और समझदार इंसान बनें। हालांकि, कई बार माता-पिता बच्चों को सभी सुख-सुविधाएं तो देते हैं, लेकिन कुछ गलतियां कर बैठते हैं, जो बच्चों की सफलता में बाधा डालती हैं। ये गलतियां बच्चों के आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती हैं, जो कि सफलता के लिए आवश्यक हैं। आइए जानते हैं उन आदतों के बारे में जो बच्चों की सफलता में रुकावट डालती हैं।


अधिक नियंत्रण रखना

कुछ माता-पिता अपने बच्चों पर अत्यधिक नियंत्रण रखना चाहते हैं। वे यह तय करते हैं कि बच्चों को क्या करना है, कहां जाना है, और यहां तक कि उनके करियर के विकल्प भी वे खुद चुनते हैं। ऐसा लगता है जैसे बच्चे केवल एक रोबोट हैं, जिन्हें निर्देश देकर चलाया जा रहा है। यह सच है कि माता-पिता के पास अनुभव होता है, लेकिन अत्यधिक नियंत्रण बच्चे की व्यक्तिगतता को नष्ट कर सकता है। ऐसे माता-पिता के कारण बच्चे जोखिम उठाना, नए विचारों का अन्वेषण करना या अपने रुचियों का पालन करना नहीं सीख पाते और सामान्य प्रवृत्तियों में फंसकर रह जाते हैं।


दूसरों से तुलना करना

जब माता-पिता अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से करते हैं, चाहे वह पड़ोस का बच्चा हो या कोई और, तो इससे बच्चों के आत्म-सम्मान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बार-बार यह सुनना कि 'देखो, वह कितना अच्छा है और तुम क्या कर रहे हो?' बच्चों को यह महसूस कराता है कि वे कभी भी अच्छे नहीं बन सकते। इससे बच्चे धीरे-धीरे यह सोचने लगते हैं कि वे कुछ नहीं कर सकते और उनमें कोई क्षमता नहीं है, जिससे वे नए प्रयास करने से डरने लगते हैं।


गलतियों पर डांटना

बच्चे भी गलतियां करते हैं और उनसे सीखते हैं। लेकिन कुछ माता-पिता की आदत होती है कि वे बच्चों की हर गलती पर उन्हें सिखाने या सुधारने का मौका नहीं देते, बल्कि केवल डांटते हैं। इस व्यवहार के कारण बच्चों के मन में डर बैठ जाता है और वे कुछ नया करने से कतराने लगते हैं। उन्हें लगता है कि अगर वे कुछ गलत करते हैं, तो उन्हें डांट पड़ेगी, जिससे उनकी रचनात्मकता धीरे-धीरे खत्म होने लगती है।


भावनात्मक समर्थन की कमी

कई बार काम के दबाव या अन्य कारणों से माता-पिता बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते। जबकि बच्चों की स्वस्थ वृद्धि के लिए केवल उनकी भौतिक जरूरतों को पूरा करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें प्यार और समय देना भी आवश्यक है। जब माता-पिता बच्चों को समय नहीं देते और उनकी बातों को नहीं सुनते, तो बच्चे अकेलापन महसूस करने लगते हैं। वे अपनी समस्याओं को किसी के सामने साझा नहीं कर पाते और अंदर ही अंदर टूटने लगते हैं, जिसका असर उनकी मानसिक वृद्धि पर पड़ता है।


हर काम खुद करना

कुछ माता-पिता बच्चों की मदद करने के चक्कर में उनका हर काम खुद ही कर देते हैं। जैसे बैग पैक करना, जूते पहनाना, और कभी-कभी स्कूल का होमवर्क भी करना। बच्चों की मदद करना जरूरी है, लेकिन उनके सभी काम खुद करना सही नहीं है। जब आप उनके हर काम को खुद करने लगते हैं, तो इससे बच्चों में जिम्मेदारी लेने की भावना नहीं विकसित होती। ऐसे में जब उन्हें जीवन में किसी चुनौती का सामना करना पड़ता है, तो वे उस चुनौती का सामना नहीं कर पाते।