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बच्चा प्लान करने से पहले थाइरॉइड नियंत्रण का महत्व

महिलाओं में थाइरॉइड की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जो गर्भधारण की योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सही थाइरॉइड स्तर बनाए रखना मां और बच्चे की सेहत के लिए आवश्यक है। जानें कि थाइरॉइड को नियंत्रित करने के उपाय क्या हैं और असंतुलन के संभावित प्रभाव क्या हो सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि प्रेगनेंसी की योजना बनाते समय थाइरॉइड नियंत्रण क्यों जरूरी है और इसे कैसे बनाए रखा जा सकता है।
 

थाइरॉइड और प्रेगनेंसी: एक जरूरी संबंध

प्रेगनेंसी प्लानिंग और थाइरॉइडImage Credit source: Getty Images


महिलाओं में थाइरॉइड की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जो एक हॉर्मोनल असंतुलन है और शरीर की कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। जब कोई महिला गर्भधारण की योजना बना रही होती है, तब थाइरॉइड का संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में हॉर्मोनल परिवर्तन होते हैं, इसलिए थाइरॉइड का सही तरीके से कार्य करना मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए महत्वपूर्ण है। कई बार महिलाएं बिना जांच के गर्भधारण करने की कोशिश करती हैं, जिससे बाद में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.


इसलिए, यह जानना आवश्यक है कि बच्चा प्लान करने से पहले थाइरॉइड को नियंत्रित करना क्यों जरूरी है।


थाइरॉइड नियंत्रण का महत्व


आरएमएल हॉस्पिटल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सलोनी चड्ढा के अनुसार, थाइरॉइड हॉर्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा स्तर और हॉर्मोनल संतुलन को नियंत्रित करता है। जब कोई महिला प्रेग्नेंसी की योजना बनाती है, तो शरीर को अधिक हॉर्मोनल सपोर्ट की आवश्यकता होती है। यदि थाइरॉइड असंतुलित है, तो गर्भधारण में देरी या रुकावट आ सकती है।


थाइरॉइड का संतुलन बनाए रखने से ओव्यूलेशन प्रक्रिया में सुधार होता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। इसके अलावा, प्रेग्नेंसी के प्रारंभिक चरणों में बच्चे का विकास मां के थाइरॉइड हॉर्मोन पर निर्भर करता है। इसलिए, डॉक्टरों की सलाह होती है कि थाइरॉइड को सामान्य स्तर पर लाने के लिए पहले से ही उपाय किए जाएं। सही समय पर उपचार और निगरानी से गर्भावस्था को सुरक्षित बनाया जा सकता है.


असंतुलित थाइरॉइड के प्रभाव


यदि थाइरॉइड नियंत्रण में नहीं है, तो प्रेग्नेंसी के दौरान कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इससे गर्भधारण में कठिनाई, शुरुआती महीनों में मिसकैरेज का खतरा और समय से पहले डिलीवरी की संभावना बढ़ सकती है। कुछ मामलों में, बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.


महिलाओं को उच्च रक्तचाप, थकान, सूजन और हॉर्मोनल असंतुलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, डिलीवरी के बाद भी जटिलताएं हो सकती हैं। इसलिए, असंतुलित थाइरॉइड को नजरअंदाज करना मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है.


थाइरॉइड को नियंत्रित रखने के उपाय


डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित थाइरॉइड परीक्षण कराएं।


दवा को रोज़ एक निश्चित समय पर लें।


संतुलित और पौष्टिक आहार का पालन करें।


पर्याप्त नींद और आराम करें।


तनाव को कम करने का प्रयास करें।


दवा की मात्रा को स्वयं न बदलें।