फ्लू से निपटने के लिए केंद्र-राज्यों की तैयारी, नई दिल्ली में चिंतन शिविर आयोजित
फ्लू सीजन की तैयारियों पर जोर
फाइल फोटो
केंद्र सरकार ने आगामी फ्लू (इन्फ्लुएंजा) सीजन के लिए तैयारियों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से 22 और 23 दिसंबर को नई दिल्ली में एक चिंतन शिविर का आयोजन किया है। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) द्वारा WHO इंडिया के सहयोग से संचालित किया जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि फ्लू से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए पूर्व तैयारी, मजबूत निगरानी तंत्र और आवश्यकता पड़ने पर उपचार की अतिरिक्त क्षमता होना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को एकजुट होकर कार्य करना होगा और इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) को और अधिक सशक्त बनाना होगा।
चिंतन शिविर में 110 प्रतिनिधियों की भागीदारी
इस चिंतन शिविर में लगभग 110 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा पर्यावरण मंत्रालय, पशुपालन विभाग, ICMR, ICAR, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, WHO और विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी शामिल थे। 11 राज्यों ने सीधे भाग लिया, जबकि अन्य राज्यों ने ऑनलाइन भागीदारी की।
बैठक में निगरानी और परीक्षण पर ध्यान केंद्रित
बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि फ्लू से निपटने की तैयारी किसी एक विभाग तक सीमित नहीं होनी चाहिए। सभी विभागों को मिलकर निगरानी, समय पर चेतावनी, लैब की तैयारी, उपचार और सही जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए कार्य करना होगा।
इस चिंतन शिविर का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह रहा कि राज्यों और संस्थानों के लिए एक तैयारी चेकलिस्ट बनाने पर सहमति बनी, जिससे कमियों की पहचान कर समय पर कदम उठाए जा सकें। यह पहल वन हेल्थ के दृष्टिकोण से इंसानों, जानवरों और पर्यावरण से संबंधित स्वास्थ्य व्यवस्था को जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जिससे देश की महामारी से निपटने की क्षमता और मजबूत होगी।
फ्लू का पीक समय दिसंबर से फरवरी
फ्लू का मौसम आमतौर पर अक्टूबर से मई तक रहता है, जिसमें दिसंबर से फरवरी के बीच सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। इस दौरान फ्लू अपने पीक पर होता है। ठंड के महीनों में यह अधिक सक्रिय हो जाता है और खतरनाक भी। मौसमी बदलाव के कारण फ्लू के वायरस में परिवर्तन होता रहता है, इसलिए कभी-कभी मरीजों की परीक्षण आवश्यक होती है.