फतेहपुर में नवाब अब्दुल समद के मकबरे को लेकर विवाद गहराया
फतेहपुर में नवाब अब्दुल समद के मकबरे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। हिंदू संगठनों का दावा है कि यह स्थल एक प्राचीन मंदिर था, जिसमें शिवलिंग और अन्य धार्मिक प्रतीक मौजूद हैं। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्थल को सील कर दिया है। बीजेपी जिलाध्यक्ष ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि वे पूजा-पाठ जारी रखेंगे। बजरंग दल के सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। यह विवाद अब पूरे क्षेत्र में तनाव का कारण बन गया है।
Aug 12, 2025, 11:42 IST
फतेहपुर में विवादित मकबरा
फतेहपुर – नवाब अब्दुल समद के मकबरे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। हिंदू संगठनों का कहना है कि यह स्थल वास्तव में हजारों साल पुराना भगवान शिव और श्रीकृष्ण का मंदिर था। उनके अनुसार, मकबरे के अंदर शिवलिंग, नंदी की मूर्ति, त्रिशूल और कमल के फूल की कलाकृतियां मौजूद हैं, जो मंदिर होने का सबूत हैं। इस बढ़ते तनाव के कारण जिला प्रशासन ने स्थल को सील कर दिया है और वहां बैरिकेडिंग कर दी है।
हिंदू संगठनों के दावे
- बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने इस मकबरे को लगभग 1,000 वर्ष पुराना मंदिर बताया।
- उनका आरोप है कि मंदिर के स्वरूप को बदलकर इसे मकबरे में परिवर्तित किया गया है।
- संगठनों का कहना है कि यहां पहले लगभग 6-7 मंदिर थे, जिनमें भगवान शिव के शिवलिंग और नंदी बाबा शामिल थे।
प्रशासन को चेतावनी
- बीजेपी जिलाध्यक्ष ने कहा कि प्रशासन को इस मामले की पूरी जानकारी है और वे हर हाल में यहां पूजा-पाठ करेंगे क्योंकि यह आस्था का केंद्र है।
- उनका आरोप है कि दूसरे समुदाय ने मंदिर को मस्जिद में बदलने का प्रयास किया है और अवैध कब्जा किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
- उन्होंने स्पष्ट किया कि आगे जो भी होगा, उसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
बजरंग दल की प्रतिक्रिया
- धर्मेंद्र सिंह, बजरंग दल के जिले के सह-संयोजक, ने कहा कि प्रशासन की तैयारियों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से एक मंदिर है।
- उन्होंने दावा किया कि कई लोग इस पर अपना अधिकार जता रहे हैं, लेकिन यह मूल रूप से एक प्राचीन मंदिर ही है।
स्थिति की गंभीरता
यह विवाद अब स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में तनाव का कारण बन गया है, और आने वाले दिनों में स्थिति पर सभी की नजर बनी हुई है।