प्लैटिनम और कॉपर ने निवेशकों को दिया शानदार रिटर्न, सोने-चांदी की चमक फीकी पड़ी
प्लैटिनम और कॉपर का निवेश में उछाल
कॉपर और प्लैटिनम से मिला बड़ा लाभ
वर्ष 2025 ने कमोडिटी बाजार में एक नया अध्याय लिखा है। आमतौर पर भारतीय निवेशक सोने और चांदी को सुरक्षित विकल्प मानते हैं, और इस साल उनके लिए यह किसी लॉटरी से कम नहीं रहा। एमसीएक्स पर सोने ने 78% का रिटर्न दिया, जबकि चांदी ने 144% की वृद्धि के साथ 2 लाख रुपये का आंकड़ा पार कर लिया। लेकिन इस चमक के बीच, दो धातुएं हैं जिन्होंने चुपचाप निवेशकों की तिजोरियों को भर दिया है। ये हैं प्लैटिनम और कॉपर, जिनकी वृद्धि ने विशेषज्ञों के अनुमानों को भी पीछे छोड़ दिया है।
प्लैटिनम की अभूतपूर्व वृद्धि
प्लैटिनम, जो अक्सर सोने-चांदी की छाया में रहता है, इस वर्ष का 'डार्क हॉर्स' बन गया है। 2025 में इसकी कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। वर्ष की शुरुआत में 1,000 डॉलर प्रति औंस से नीचे रहने वाला प्लैटिनम अब 2,300 डॉलर के स्तर को पार कर चुका है, जिससे निवेशकों को लगभग 140% का शानदार रिटर्न मिला है।
आंकड़ों के अनुसार, यह 1987 के बाद से प्लैटिनम में सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि है। इसकी कीमतों में लगातार 10 सत्रों तक बढ़ोतरी हुई, जो 2017 के बाद का सबसे लंबा समय है। इसके पीछे का मुख्य कारण दक्षिण अफ्रीका में उत्पादन संकट है, जहां सप्लाई चेन प्रभावित हुई है, जिससे बाजार में भारी कमी आई है।
औद्योगिक मांग और चीन का प्रभाव
प्लैटिनम की इस अभूतपूर्व वृद्धि का कारण केवल निवेश नहीं है, बल्कि इसकी औद्योगिक मांग भी है। रिलायंस सिक्योरिटीज के विश्लेषक जिगर त्रिवेदी के अनुसार, अमेरिका में व्यापार प्रतिबंधों की आशंका के चलते व्यापारी माल जमा कर रहे हैं। लगभग 6 लाख औंस प्लैटिनम अमेरिकी गोदामों में जमा है।
चीन से बढ़ती मांग ने भी कीमतों को सहारा दिया है। गुआंगझोउ फ्यूचर्स एक्सचेंज पर प्लैटिनम की ट्रेडिंग शुरू होने और औद्योगिक उपयोग में वृद्धि ने वैश्विक बाजार में हलचल मचाई है। ऑटोमोबाइल उद्योग और हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक में प्लैटिनम का उपयोग बढ़ने से निवेशकों का विश्वास और मजबूत हुआ है।
कॉपर: नया सोना
केवल कीमती धातुएं ही नहीं, बल्कि बेस मेटल्स में कॉपर ने भी इस वर्ष धूम मचाई है। इसे अब 'न्यू गोल्ड' या 'न्यू सिल्वर' कहा जा रहा है। लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर की कीमतें 12,000 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गई हैं। यह 2009 के बाद से कॉपर का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है, जिसमें साल-दर-साल आधार पर 35% से अधिक का रिटर्न मिला है।
कॉपर की इस तेजी का कारण एआई डेटा सेंटर्स और इलेक्ट्रिक वाहनों में इसका बढ़ता उपयोग है। इसके अलावा, वैश्विक सप्लाई चेन में रुकावटों ने भी स्थिति को और बिगाड़ दिया है। इंडोनेशिया और चिली की खदानों में दुर्घटनाओं और कांगो में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है। अमेरिकी खरीदार भी भविष्य में ऊंचे दामों के डर से कॉपर की जमाखोरी कर रहे हैं।
हालांकि, गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2026 में हालात सामान्य हो सकते हैं। उम्मीद है कि सप्लाई बढ़ने के साथ कीमतें 10,000 से 11,000 डॉलर प्रति टन के बीच स्थिर हो सकती हैं, लेकिन तब तक निवेशकों के लिए यह वर्ष लाभ का सौगात दे चुका है।