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प्रियंका चतुर्वेदी ने इंडिगो की उड़ान रद्दीकरण पर सरकार को घेरा

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इंडिगो द्वारा उड़ानें रद्द करने के मामले में सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को यात्रियों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। चतुर्वेदी ने संसद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया, लेकिन मंत्री की ओर से कोई ठोस जानकारी नहीं आई। इंडिगो की उड़ानें परिचालन संबंधी समस्याओं के कारण रद्द हो रही हैं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
 

इंडिगो की उड़ान रद्दीकरण पर सांसद की प्रतिक्रिया

शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने शुक्रवार को इंडिगो द्वारा कई हवाई अड्डों से उड़ानें रद्द करने के मामले में सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यदि नागरिक उड्डयन मंत्रालय यात्रियों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है, तो इसका संचालन का कोई औचित्य नहीं है। चतुर्वेदी ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय यात्रियों की जरूरतों को नजरअंदाज कर रहा है और एयरलाइन के हितों की रक्षा कर रहा है।


संसद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव

चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया है। उन्हें उम्मीद थी कि नागरिक उड्डयन मंत्री संसद में इस पर जानकारी देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मंत्री ने देर रात बैठक की और कुछ निर्देश जारी किए, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द होने पर इन निर्देशों का क्या महत्व है? यदि मंत्रालय यात्रियों की समस्याओं के लिए जिम्मेदार नहीं है, तो इसे बंद कर देना चाहिए।


इंडिगो की उड़ानें रद्द

दिल्ली से उड़ान भरने वाली इंडिगो की सभी उड़ानें परिचालन संबंधी समस्याओं के कारण आधी रात तक रद्द कर दी गई हैं। एयरलाइन ने 10 फरवरी, 2026 तक अपने ए320 बेड़े के लिए कुछ उड़ान ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) प्रावधानों से अस्थायी परिचालन छूट मांगी है। नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) ने एक बयान में कहा कि उस तारीख तक परिचालन स्थिरता बहाल करने का आश्वासन दिया गया है।


यात्रियों की असुविधा

देशभर में एयरलाइन परिचालन में व्यवधान के चलते 500 से अधिक इंडिगो उड़ानें विलंबित या रद्द हो चुकी हैं, जिससे यात्रियों को गंभीर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। कई हवाई अड्डों पर यात्रियों ने इस स्थिति पर गहरी निराशा व्यक्त की है, जिससे कई लोग बिना स्पष्ट संचार या वैकल्पिक यात्रा विकल्पों के फंसे रह गए हैं। यात्रियों का कहना है कि कर्मचारियों की कमी और नए नियमों के कारण उन्हें घंटों तक हवाई अड्डों पर उचित संचार, भोजन या पानी के बिना रहना पड़ा।