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प्रियंका गांधी की मोतिहारी रैली: क्या है राजनीतिक रणनीति?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए प्रियंका गांधी ने मोतिहारी सीट को अपनी पहली रैली के लिए चुना है। यह सीट वर्तमान में बीजेपी के पास है, और कांग्रेस इसे अपने पक्ष में करने की योजना बना रही है। प्रियंका की रैली के पीछे की राजनीतिक रणनीति और आरजेडी के साथ सीट शेयरिंग पर असहमति के कारण यह रैली महत्वपूर्ण बन गई है। जानें इस रैली के माध्यम से प्रियंका गांधी क्या संदेश देना चाहती हैं और चुनावी राजनीति में इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।
 

बिहार चुनाव 2025 की तैयारी

तेजस्वी यादव और प्रियंका गांधी

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक दल मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटे हैं। महागठबंधन की कांग्रेस पार्टी भी अपनी चुनावी रणनीति पर काम कर रही है। इस क्रम में, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने पूर्वी चंपारण की मोतिहारी विधानसभा सीट को अपनी पहली रैली के लिए चुना है। यह सीट वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नियंत्रण में है, और कांग्रेस इसे अपने पक्ष में करने की योजना बना रही है।

पूर्वी चंपारण जिले में 12 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, हरसिद्धि (SC), गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन, मोतिहारी, चिरैया और ढाका शामिल हैं। प्रियंका गांधी 26 सितंबर को मोतिहारी पहुंचेंगी, जहां वे दोपहर एक बजे गांधी मैदान में अपनी पहली चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगी। जिला कांग्रेस इस रैली की तैयारी में जुटी हुई है और कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में शामिल होने के लिए प्रेरित किया गया है।

मोतिहारी का चुनावी महत्व

पिछले विधानसभा चुनाव में मोतिहारी सीट आरजेडी के हिस्से में आई थी। यह वही क्षेत्र है जहां राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान आरजेडी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच विवाद हुआ था। इस विवाद के चलते कांग्रेस ने आरजेडी कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई थी।

कांग्रेस के पूर्वी चंपारण जिला अध्यक्ष गप्पू राय ने 28 अगस्त को राहुल की यात्रा से पहले 54 स्थानों पर पोस्टर लगाए थे, जिससे आरजेडी कार्यकर्ता नाराज हो गए थे। उन्होंने कांग्रेस के पोस्टर फाड़कर अपने पोस्टर चिपका दिए थे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आरजेडी कार्यकर्ताओं ने जान से मारने की धमकी दी थी, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी।

क्या प्रियंका की रैली प्रेशर पॉलिटिक्स है?

अब प्रियंका गांधी मोतिहारी सीट से अपनी रैली करने जा रही हैं, जबकि महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर अभी तक सहमति नहीं बनी है। इस स्थिति में यह सवाल उठता है कि क्या प्रियंका गांधी इस रैली के माध्यम से आरजेडी को एक संदेश देना चाहती हैं।

कांग्रेस ने 70 सीटों की मांग की है, जबकि आरजेडी कम सीटें देने पर अड़ी हुई है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 19 सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस चाहती है कि उसे उन सीटों पर प्राथमिकता दी जाए जहां उसे जीतने की संभावना अधिक हो। यही कारण है कि प्रियंका मोतिहारी पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

मोतिहारी सीट का इतिहास

कांग्रेस ने मोतिहारी विधानसभा सीट पर आखिरी बार 2010 में चुनाव लड़ा था। उस समय कांग्रेस ने अरविंद कुमार गुप्ता को उम्मीदवार बनाया था, जबकि बीजेपी ने प्रमोद कुमार को और आरजेडी ने राजेश गुप्ता को टिकट दिया था। बीजेपी ने आरजेडी को 24530 वोटों के अंतर से हराया था।

2015 में बीजेपी के प्रमोद कुमार को 79,947 वोट मिले, जबकि आरजेडी के विनोद कुमार श्रीवास्तव को 61,430 वोट मिले थे। पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में बीजेपी ने प्रमोद कुमार को फिर से उम्मीदवार बनाया था, जबकि आरजेडी ने ओम प्रकाश चौधरी को टिकट दिया था। बीजेपी ने उन्हें 14,645 वोटों के अंतर से हराया।