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प्रसिद्ध कवि विनोद कुमार शुक्ल का निधन, साहित्य जगत में शोक की लहर

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार रायपुर में हुआ, जहां मुख्यमंत्री और अन्य साहित्यकारों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। शुक्ल ने पिछले 50 वर्षों में हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया और हाल ही में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हुए थे। उनके लेखन की विशेषताएँ और उपलब्धियाँ इस लेख में विस्तार से चर्चा की गई हैं।
 

छत्तीसगढ़ के साहित्यकार का निधन


छत्तीसगढ़ के मशहूर कवि, कथाकार और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार रायपुर के मारवाड़ी श्मशान घाट पर किया गया, जहां उनके बेटे शाश्वत ने उन्हें मुखाग्नि दी। मुख्यमंत्री साय ने भी पार्थिव शरीर को कांधा दिया। इस अंतिम यात्रा में प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास भी शामिल हुए। उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर के साथ विदाई दी गई। उल्लेखनीय है कि शुक्ल को एक महीने पहले ही भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पिछले कुछ महीनों से वे बीमार थे और उनका इलाज एम्स रायपुर में चल रहा था।


प्रधानमंत्री ने शोक व्यक्त किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित इस प्रख्यात लेखक का निधन अत्यंत दुःखद है और हिन्दी साहित्य में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।


लेखन में 50 वर्षों का अनुभव

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में हुआ था। वे पिछले 50 वर्षों से लेखन कर रहे थे। उनकी पहली कविता संग्रह 'जय हिंद' 1971 में प्रकाशित हुई थी। उनकी कहानी संग्रह 'पेड़ पर कमरा' और 'महाविद्यालय' भी बहुत चर्चित हैं। शुक्ल के उपन्यास 'नौकर की कमीज' और 'खिलेगा तो देखेंगे' हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ उपन्यासों में माने जाते हैं।