प्रसव के बाद मां और नवजात के लिए स्वास्थ्य टिप्स
प्रसव के बाद का महत्वपूर्ण समय
प्रसव के बाद मां और नवजात के लिए शुरुआती दिन बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील होते हैं। इस समय उचित देखभाल और पोषण न केवल मां की सेहत को सुधारता है, बल्कि शिशु के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए, जानते हैं कि डिलीवरी के बाद मां को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और स्तनपान के क्या लाभ हैं, ताकि मां और शिशु दोनों स्वस्थ रह सकें।
कोलोस्ट्रम: नवजात का पहला आहार
डिलीवरी के तुरंत बाद मां का पहला दूध, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है, नवजात के लिए अमृत के समान होता है। यह पीला और गाढ़ा दूध शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और उसे पीलिया जैसी समस्याओं से बचाता है। कोलोस्ट्रम में मौजूद पोषक तत्व और एंटीबॉडीज नवजात के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। इसलिए, विशेषज्ञों की सलाह है कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को कोलोस्ट्रम अवश्य पिलाना चाहिए। यह न केवल शिशु को मजबूत बनाता है, बल्कि मां के शरीर को भी प्रसव के बाद सामान्य स्थिति में लाने में मदद करता है।
प्रसव के बाद खानपान: सही आहार का चयन
प्रसव के बाद मां को अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, डिलीवरी के बाद कम से कम डेढ़ महीने तक खट्टी चीजों जैसे नींबू, इमली, अचार या खट्टे फलों से बचना चाहिए। ये चीजें मां और शिशु दोनों के पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती हैं। इसके अलावा, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय और कॉफी का सेवन भी सीमित करना चाहिए, क्योंकि ये मां के दूध की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। इसके बजाय, मां को पौष्टिक और सुपाच्य भोजन जैसे दूध, खीर, और हल्के मसाले वाला खाना लेना चाहिए। आयुर्वेद में शतावरी और विदारीकंद जैसे औषधीय तत्वों को दूध के साथ लेने की सलाह दी जाती है, जो मां के दूध की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
छह महीने तक केवल स्तनपान
कई बार मांओं के बीच यह गलत धारणा होती है कि स्तनपान से उनका शरीर बेडौल हो सकता है। लेकिन यह पूरी तरह गलत है। स्तनपान न केवल मां के वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को भी कम करता है। शिशु के लिए पहले छह महीने तक केवल मां का दूध ही पर्याप्त होता है। इसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं। छह महीने के बाद धीरे-धीरे उबली सब्जियां, फल और नौ महीने के बाद अन्न देना शुरू किया जा सकता है।
मां के दूध की गुणवत्ता बढ़ाने के उपाय
मां के दूध की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कुछ आसान घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं। भुना हुआ जीरा आधा चम्मच तांबे के बर्तन में पानी के साथ सुबह-शाम लेने से दूध की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके अलावा, चावल की खीर और दूध जैसे पौष्टिक आहार भी फायदेमंद हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ शतावरी और विदारीकंद का मिश्रण (5 ग्राम) सुबह-शाम दूध के साथ लेने की सलाह देते हैं। ये न केवल दूध की मात्रा बढ़ाते हैं, बल्कि शिशु के लिए पोषण को और समृद्ध करते हैं।
स्तनपान के अनगिनत फायदे
स्तनपान शिशु और मां दोनों के लिए वरदान है। यह शिशु मृत्यु दर को 20% तक कम कर सकता है। प्रसव के बाद मां के शरीर में प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटॉसिन हार्मोन बनते हैं, जो दूध उत्पादन में मदद करते हैं और मां को मानसिक रूप से स्थिरता प्रदान करते हैं। इसके अलावा, स्तनपान से शिशु को कई बीमारियों से सुरक्षा मिलती है और उसका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। मां के लिए भी यह एक प्राकृतिक तरीका है अपनी सेहत को बनाए रखने का।
निष्कर्ष: मां और शिशु की सेहत पहले
प्रसव के बाद का समय मां और शिशु दोनों के लिए संवेदनशील होता है। सही खानपान, पर्याप्त आराम और स्तनपान से न केवल मां की सेहत सुधरती है, बल्कि शिशु का भविष्य भी मजबूत होता है। कोलोस्ट्रम से लेकर छह महीने तक नियमित स्तनपान और पौष्टिक आहार मां और शिशु दोनों को स्वस्थ और खुशहाल रखने का सबसे आसान और प्राकृतिक तरीका है। इस दौरान परिवार के सदस्यों का सहयोग और सकारात्मक माहौल भी मां के लिए बेहद जरूरी है।