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प्रशांत किशोर का 99 करोड़ का दान: क्या मिलेगा टैक्स में लाभ?

बिहार चुनाव के परिणामों के बाद प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी जन सुराज को 99 करोड़ रुपये का दान दिया है। इस दान पर टैक्स में छूट मिलने की संभावना पर चर्चा की जा रही है। जानें क्या राजनीतिक दान पर टैक्स लगता है और नई कर व्यवस्था में क्या बदलाव आए हैं। क्या किशोर को अपने दान पर टैक्स कटौती का लाभ मिलेगा? इस लेख में हम इन सभी सवालों का उत्तर देंगे।
 

बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर की भूमिका

प्रशांत किशोर


हाल ही में बिहार चुनाव के परिणाम सामने आए, जिसमें एनडीए ने भारी बहुमत हासिल किया। इस चुनाव में प्रशांत किशोर और उनकी नई पार्टी जन सुराज ने एक नई हलचल पैदा की, जिससे कई पुराने राजनीतिक चेहरे खतरे में पड़ गए। भले ही उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं मिली, लेकिन चुनाव के दौरान उन्होंने सभी को चुनौती दी।


एक रिपोर्ट के अनुसार, जन सुराज ने डिजिटल विज्ञापनों पर कांग्रेस, जेडी(यू) और आरजेडी के मुकाबले अधिक खर्च किया, जबकि बीजेपी ने सबसे ज्यादा धन खर्च किया।


किशोर ने बताया कि उन्होंने पिछले तीन वर्षों में अपनी व्यक्तिगत आय का लगभग 98.76 करोड़ रुपये जन सुराज को दान किया है। सभी राजनीतिक दल अपनी लोकप्रियता और विचारधारा के आधार पर दान प्राप्त करते हैं।


एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी को 2023-24 में 8,353 दानदाताओं से 2,243 करोड़ रुपये का दान मिला।


हालांकि, किशोर ने अपनी आय पर 20 करोड़ रुपये का आयकर चुकाया है, लेकिन क्या वह जन सुराज को दिए गए 98.76 करोड़ रुपये के दान पर टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं? आइए इसे समझते हैं।


क्या राजनीतिक दान पर टैक्स लगता है?

आमतौर पर राजनीतिक दान आयकर से मुक्त होते हैं और व्यक्तिगत आय के अंतर्गत कटौती की अनुमति होती है। लेकिन नई कर व्यवस्था के तहत, राजनीतिक दलों को दिए गए दान पर ऐसी कोई कटौती नहीं है। एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के अनुसार, राजनीतिक दलों को दिया गया दान टैक्स फ्री है, लेकिन नई कर व्यवस्था में नहीं।


एक अन्य चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बताया कि राजनीतिक दलों को दिए गए वास्तविक दान पर आयकर अधिनियम के तहत कटौती की अनुमति है, लेकिन यदि आप कर चोरी के लिए इसी तरीके का उपयोग कर रहे हैं, तो इसकी अनुमति नहीं है।


दान की आय स्पष्ट स्रोतों से होनी चाहिए, अन्यथा इसे धारा 69सी के तहत अस्पष्टीकृत व्यय माना जा सकता है। एक टैक्स विशेषज्ञ के अनुसार, सही तरीके से अकाउंटिंग की गई आय से किए गए राजनीतिक दान टैक्सेबल नहीं होते हैं।


हालांकि, यदि योगदान अस्पष्टीकृत स्रोतों से आता है, तो इसे धारा 69सी के तहत अस्पष्टीकृत व्यय माना जाएगा और उस पर 60 फीसदी टैक्स, साथ ही सरचार्ज और सेस भी लगाया जा सकता है।


पुरानी कर व्यवस्था बनाम नई कर व्यवस्था

पुरानी कर व्यवस्था के तहत, दानकर्ता राजनीतिक दलों को दिए गए दान पर 100 फीसदी कटौती का दावा कर सकते हैं। ये कटौती आयकर अधिनियम की धारा 80GGC और 80GGB के तहत लागू होती हैं।


नई कर व्यवस्था के तहत इन कटौतियों की अनुमति नहीं है। एक विशेषज्ञ के अनुसार, पुरानी कर व्यवस्था के तहत राजनीतिक दलों को दिए गए नॉन-कैश योगदान भी कटौती के लिए पात्र हैं।


नई टैक्स व्यवस्था के तहत, टैक्सेबल कंपनियों के लिए ये कटौतियाँ उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, इन कटौतियों का दावा विशेष दरों पर टैक्सेबल इनकम पर नहीं किया जा सकता।