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प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में आरएसएस की सेवा और अनुशासन की सराहना की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में आरएसएस की निस्वार्थ सेवा और अनुशासन की प्रशंसा की। उन्होंने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की अपील की और कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक हमेशा राष्ट्र की सेवा में तत्पर रहते हैं। मोदी ने हेडगेवार और गोलवलकर की विरासत को भी याद किया। इस संबोधन में उन्होंने लोगों से खादी के उत्पाद खरीदने का आग्रह किया, जिससे देश के कारीगरों और उद्यमियों को समर्थन मिल सके।
 

प्रधानमंत्री का संबोधन

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 126वें एपिसोड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की निस्वार्थ सेवा और अनुशासन की सराहना की। यह संबोधन विजयादशमी के अवसर पर आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने से कुछ दिन पहले हुआ।


आरएसएस की ताकत

प्रधानमंत्री ने कहा कि आरएसएस की असली ताकत उसकी सेवा, त्याग और अनुशासन की भावना में निहित है, और इसके स्वयंसेवकों के कार्यों में 'राष्ट्र पहले' का सिद्धांत सर्वोपरि रहता है।


हेडगेवार की विरासत

मोदी, जो स्वयं आरएसएस के प्रचारक रह चुके हैं, ने बताया कि केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के दिन देश को बौद्धिक गुलामी से मुक्त करने के लिए आरएसएस की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि तब से आरएसएस की यात्रा प्रेरणादायक और अभूतपूर्व रही है।


गोलवलकर की प्रेरणा

प्रधानमंत्री ने हेडगेवार के उत्तराधिकारी एम.एस. गोलवलकर की भी प्रशंसा की। उन्होंने गोलवलकर के प्रसिद्ध कथन 'यह मेरा नहीं है, यह राष्ट्र का है' का उल्लेख करते हुए कहा कि इस संदेश ने लाखों स्वयंसेवकों को राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए प्रेरित किया है। मोदी ने यह भी कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के समय आरएसएस के स्वयंसेवक सबसे पहले मदद के लिए पहुंचते हैं।


स्वदेशी उत्पादों का समर्थन

पीएम ने स्वदेशी और 'वोकल फॉर लोकल' पर जोर दिया
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और 'वोकल फॉर लोकल' को अपनाने की अपील की। उन्होंने लोगों से 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर खादी का कोई उत्पाद खरीदने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, 'ठान लीजिए, हमेशा के लिए, जो देश में तैयार हुआ है, वही खरीदेंगे। जिसमें देश के किसी नागरिक की मेहनत है, उसी सामान का उपयोग करेंगे।' उन्होंने समझाया कि जब हम ऐसा करते हैं, तो हम किसी परिवार की उम्मीदों को जगाते हैं, कारीगर की मेहनत को सम्मान देते हैं, और युवा उद्यमी के सपनों को पंख देते हैं।