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प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु में किसानों के उत्साह की सराहना की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु में किसानों के उत्साह की सराहना की और कहा कि गमछा लहराते किसानों ने उन्हें बिहार की याद दिलाई। उन्होंने क्षेत्र की आर्थिक स्थिति और प्राकृतिक खेती के महत्व पर भी प्रकाश डाला। मोदी ने किसानों के साहस की सराहना करते हुए कहा कि उनकी यात्रा एक सीखने का अनुभव रही। जानें इस महत्वपूर्ण सभा में उनके विचार और कृषि के प्रति उनकी प्रतिबद्धता।
 

किसानों के प्रति प्रधानमंत्री का अभिवादन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक सभा में किसानों को गमछा लहराते देखकर कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे बिहार की ताजगी पहले ही तमिलनाडु में पहुँच गई हो। उन्होंने किसानों और कपड़ा श्रमिकों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि उनका स्वागत गमछा लहराकर किया गया, जिससे उन्हें बिहार के त्योहारों की याद आ गई। मंच पर आते ही, उन्होंने कई किसानों को अपने गमछे को हवा में लहराते देखा और यह अनुभव उनके लिए विशेष था।


तमिलनाडु में चुनावों का महत्व

प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले वर्ष तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन में इस दक्षिणी राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही है। 2024 में भाजपा तमिलनाडु में एक भी लोकसभा सीट जीतने में असफल रही थी। उन्होंने कहा कि यदि वह तमिल में होते, तो उन्हें शिखर सम्मेलन में दिए गए भाषणों को बेहतर तरीके से समझने का अवसर मिलता।


कोयंबटूर का कपड़ा उद्योग

क्षेत्र की आर्थिक स्थिति पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोयंबटूर का कपड़ा उद्योग लंबे समय से देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि सी.पी. राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति बनने के साथ, कोयंबटूर का योगदान और भी बढ़ गया है। प्राकृतिक खेती को "मेरे दिल के करीब" बताते हुए, उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत जैविक और प्राकृतिक कृषि का वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। शिखर सम्मेलन में, उन्होंने जैविक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया।


किसानों के साहस की सराहना

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शनी का दौरा किया और कई किसानों से बातचीत करने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि कुछ किसानों ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर खेती की ओर रुख किया, जबकि कुछ ने नासा छोड़कर कृषि में कदम रखा। ये किसान कई युवाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि अगर वह यहाँ नहीं आते, तो वह अपने जीवन में बहुत कुछ खो देते। उन्होंने तमिलनाडु के किसानों के साहस और बदलाव को अपनाने की क्षमता की सराहना की।