प्रधानमंत्री मोदी ने ज्ञान भारतम पोर्टल का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्ञान भारतम पोर्टल का उद्घाटन किया, जो पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पोर्टल का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और साहित्य को सहेजना और सार्वजनिक पहुंच को बढ़ावा देना है। मोदी ने इस मिशन को भारतीय चेतना का उत्सव बताया और इसके चार मुख्य स्तंभों पर प्रकाश डाला। जानें इस पोर्टल के महत्व और भारत की ज्ञान परंपरा के बारे में।
Sep 12, 2025, 19:07 IST
ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्ञान भारतम पोर्टल का उद्घाटन किया, जो एक विशेष डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुंच को बढ़ावा देना है। मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले उन्होंने ज्ञान भारतम मिशन की घोषणा की थी और आज हम ज्ञान भारतम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। यह आयोजन केवल सरकारी या शैक्षणिक नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, साहित्य और चेतना का उत्सव है। मैं इस मिशन के शुभारंभ पर देशवासियों को बधाई देता हूं।
मोदी का संदेश
मोदी ने कहा कि आज विज्ञान भवन, भारत के गौरवमयी अतीत के पुनर्जागरण का गवाह बन रहा है। उन्होंने बताया कि ज्ञान भारतम् मिशन की घोषणा के बाद, इतनी जल्दी हम इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। इस मिशन से संबंधित पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। यह एक सरकारी या शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों पीढ़ियों का चिंतन, भारत के महान आचार्यों और विद्वानों का ज्ञान, हमारी ज्ञान परंपराएं और वैज्ञानिक धरोहरें—ज्ञान भारतम् मिशन के माध्यम से हम इन्हें डिजिटाइज करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिपि संग्रह है, जिसमें लगभग 1 करोड़ हस्तलिपियां शामिल हैं। इतिहास के कठिन समय में लाखों हस्तलिपियां नष्ट हो गईं, लेकिन जो बची हैं, वे इस बात का प्रमाण हैं कि ज्ञान और विज्ञान के प्रति हमारे पूर्वजों की निष्ठा कितनी गहरी थी।
भारत की ज्ञान परंपरा
मोदी ने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा आज भी समृद्ध है, क्योंकि यह चार मुख्य स्तंभों पर आधारित है: संरक्षण, नवाचार, परिवर्धन और अनुकूलन। उन्होंने कहा कि भारत एक जीवंत प्रवाह है, जो अपने विचारों, आदर्शों और मूल्यों से निर्मित हुआ है। प्राचीन पांडुलिपियों में हमें भारत के निरंतर प्रवाह की रेखाएं देखने को मिलती हैं, जो हमारी विविधता में एकता का प्रतीक हैं।