प्रधानमंत्री मोदी ने कानूनी सहायता वितरण तंत्र को मजबूत करने पर सम्मेलन का उद्घाटन किया
कानूनी सहायता वितरण तंत्र को सशक्त बनाने का सम्मेलन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में ‘कानूनी सहायता वितरण तंत्र को मजबूत करने’ पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा विकसित सामुदायिक मध्यस्थता प्रशिक्षण मॉड्यूल का भी शुभारंभ किया। पीएम ने कहा कि यह कार्यक्रम हमारी न्यायिक प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाएगा।
इस कार्यक्रम में सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और अन्य कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे। पीएम मोदी ने कहा कि न्याय को सरल बनाना आवश्यक है ताकि लोग इसे आसानी से समझ सकें। उन्होंने कानूनी भाषा को सरल बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
‘न्याय तभी संभव है जब…’
राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक न्याय तभी संभव है जब सभी को न्याय मिले, चाहे उनकी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो। उन्होंने कहा कि कानून की भाषा ऐसी होनी चाहिए, जो सभी को समझ में आए। जब लोग कानून को अपनी भाषा में समझते हैं, तो इससे बेहतर अनुपालन होता है और मुकदमे की संख्या में कमी आती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब न्याय सभी के लिए सुलभ हो, समय पर हो, और सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना हर व्यक्ति तक पहुंचे, तभी वह सामाजिक न्याय का आधार बनता है। उन्होंने कानूनी सहायता की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि लोक अदालतों और मुकदमे-पूर्व समझौतों के माध्यम से लाखों विवादों का समाधान तेजी से और कम लागत पर किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि निर्णय और कानूनी दस्तावेज स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध होने चाहिए, और उच्चतम न्यायालय इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में न्याय को सुलभ बनाने के लिए कई सुधार किए गए हैं और इस प्रक्रिया को और तेज किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय सभी के लिए सुलभ होना चाहिए, क्योंकि यह जीवन और व्यापार को सरल बनाता है।