प्रधानमंत्री मोदी ने आयुष क्षेत्र के लिए डिजिटल पोर्टल और वैश्विक मानक का शुभारंभ किया
आयुष क्षेत्र में नई पहलों का आगाज़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष क्षेत्र के लिए एक मास्टर डिजिटल पोर्टल, माई आयुष इंटीग्रेटेड सर्विसेज पोर्टल (एमएआईएसपी) का उद्घाटन किया। इसके साथ ही, आयुष मार्क का अनावरण भी किया गया, जिसे आयुष उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता के लिए एक वैश्विक मानक के रूप में स्थापित किया गया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने बताया कि आज पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ का वैश्विक शिखर सम्मेलन समाप्त हो रहा है। पिछले तीन दिनों में, पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण और सार्थक चर्चाएं की हैं।
WHO और भारत की साझेदारी
मोदी ने इस सफल आयोजन के लिए WHO, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र भारत के जामनगर में स्थापित हुआ है। 2022 में पारंपरिक चिकित्सा की पहली समिट में विश्व ने हमें यह महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा था। इस शिखर सम्मेलन में पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का संगम होता है, जो नवाचार के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है।
पारंपरिक चिकित्सा के लिए नई पहलें
इस समिट में कई महत्वपूर्ण विषयों पर सहमति बनी, जो हमारी मजबूत साझेदारी का प्रतीक है। अनुसंधान को मजबूत करना, पारंपरिक चिकित्सा में डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाना, और एक ऐसा विनियामक ढांचा तैयार करना, जिस पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके, जैसे मुद्दे पारंपरिक चिकित्सा को सशक्त करेंगे। मोदी ने कहा कि योग भी पारंपरिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसने दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का मार्ग दिखाया है।
WHO का नया कार्यालय और स्वास्थ्य का संतुलन
प्रधानमंत्री ने बताया कि आज दिल्ली में WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन भी किया गया है, जो भारत की ओर से एक विनम्र उपहार है। यह एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां अनुसंधान, विनियमन और क्षमता निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में संतुलन को स्वास्थ्य का पर्याय माना गया है। संतुलन बनाए रखना न केवल एक वैश्विक कारण है, बल्कि यह एक तात्कालिकता भी है।
आधुनिक जीवनशैली की चुनौतियाँ
मोदी ने कहा कि जीवनशैली में हो रहे बड़े बदलाव और शारीरिक श्रम की कमी से मानव शरीर के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं। पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा की सुरक्षा और प्रमाण से जुड़ी चिंताओं का समाधान भी भारत कर रहा है। उदाहरण के लिए, अश्वगंधा का उपयोग सदियों से हमारी पारंपरिक चिकित्सा में होता आ रहा है, और कोविड-19 के दौरान इसकी मांग में तेजी आई।