प्रधानमंत्री मोदी को मिला 'धर्म चक्रवर्ती' का खिताब, जैन संत की शताब्दी समारोह में सम्मानित
प्रधानमंत्री का सम्मान
शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जैन संत आचार्य श्री 108 विद्याणंद जी महाराज की शताब्दी समारोह में 'धर्म चक्रवर्ती' का खिताब दिया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, "आपने मुझे 'धर्म चक्रवर्ती' का खिताब दिया है, लेकिन मैं इसे अपने लिए उचित नहीं मानता। हमारे संस्कृति में जो भी संतों से मिलता है, उसे 'प्रसाद' के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसलिए, मैं इस 'प्रसाद' को विनम्रता से स्वीकार करता हूं और इसे मां भारती को समर्पित करता हूं।"
शताब्दी समारोह का महत्व
यह शताब्दी समारोह आचार्य विद्याणंद जी के प्रति एक साल भर का राष्ट्रीय श्रद्धांजलि कार्यक्रम है, जिसे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट, दिल्ली द्वारा आयोजित किया जा रहा है। पीएम मोदी ने बताया कि आज का दिन विशेष है क्योंकि 1987 में इसी दिन आचार्य विद्याणंद मुनिराज को 'आचार्य' का खिताब मिला था, जो जैन संस्कृति को संयम और करुणा के विचारों से जोड़ता है।
समारोह में विशेष गतिविधियाँ
समारोह के दौरान, पीएम मोदी और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आचार्य जी की स्मृति में डाक टिकटों का विमोचन किया। पीएम मोदी ने कहा, "भारत दुनिया की सबसे पुरानी जीवित संस्कृति है। हमारी विचारधारा, हमारे विचार और हमारी दर्शन अमर हैं।" उन्होंने आचार्य जी के जीवन पर आधारित चित्रों और भित्तिचित्रों की प्रदर्शनी का भी दौरा किया।
शताब्दी वर्ष का कार्यक्रम
यह शताब्दी वर्ष 28 जून 2025 से 22 अप्रैल 2026 तक मनाया जाएगा, जिसमें सांस्कृतिक, साहित्यिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक पहलों का आयोजन किया जाएगा। आचार्य जी का जन्म 22 अप्रैल 1925 को शेडबाल, बेलगावी (कर्नाटक) में हुआ था। उन्होंने जैन दर्शन और नैतिकता पर 50 से अधिक ग्रंथों की रचना की है।
आचार्य जी का योगदान
आचार्य जी ने भारत में प्राचीन जैन मंदिरों के पुनर्स्थापन और पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भगवान महावीर के जन्मस्थान कुंडग्राम (अब बसोकुंड) की पहचान की, जिसे भारत सरकार ने 1956 में मान्यता दी। शताब्दी वर्ष में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जो सामुदायिक सहभागिता, युवा भागीदारी, अंतरधार्मिक संवाद और जैन विरासत जागरूकता पर केंद्रित होंगे।