प्रधानमंत्री मोदी की राणाघाट जनसभा: पश्चिम बंगाल में बदलाव की दिशा में एक कदम
प्रधानमंत्री मोदी का राणाघाट दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के राणाघाट में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। यह सभा राज्य में आगामी संगठनात्मक गतिविधियों और 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत आयोजित की जा रही है। नादिया जिले के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इस सभा का आयोजन किया जा रहा है। भाजपा नेता डॉ. अनिरबन गांगुली ने इस बात की पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री मोदी इस जनसभा में शामिल होंगे।
नादिया का सांस्कृतिक महत्व
यह जनसभा 2026 में होने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। नादिया जिला पश्चिम बंगाल के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। राणाघाट से कुछ दूरी पर स्थित शांतिपुर में महान विद्वान कृत्तिबास ओझा का स्मारक है, जो रामायण के अनुवादक रहे हैं। फुलिया शहर अपने पारंपरिक वस्त्रों और साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। प्रधानमंत्री मोदी का विकास और विरासत के प्रति दृष्टिकोण इस संदर्भ में विशेष महत्व रखता है।
टीएमसी सरकार की आलोचना
प्रधानमंत्री मोदी ने टीएमसी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि नादिया एक सीमावर्ती जिला है, जहां टीएमसी विधानसभा चुनावों में घुसपैठियों के वोट बैंक का उपयोग कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि नादिया में विभाजन के बाद से उन्होंने 2019 में सीएए लागू करने सहित स्थानीय निवासियों के लिए कई कदम उठाए हैं।
जनसभा का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने राणाघाट को उसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण चुना है। इस जनसभा में व्यापक जनभागीदारी की उम्मीद है। प्रधानमंत्री इस दौरान केंद्र सरकार की प्रमुख पहलों, चल रही बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं और बंगाल के भविष्य के रोडमैप पर भी चर्चा करेंगे। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया का उपयोग राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए किया जा रहा है।