×

प्रधानमंत्री मोदी की जापान और चीन यात्रा: वैश्विक कूटनीति में महत्वपूर्ण कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान और चीन यात्रा 29 अगस्त से 1 सितंबर तक वैश्विक कूटनीति के लिए महत्वपूर्ण है। यह यात्रा अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ के बीच हो रही है। जापान में मोदी का दौरा 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए है, जबकि चीन में वह SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस यात्रा के दौरान भारत की रक्षा और तकनीकी सहयोग पर जोर दिया जाएगा, जो चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करेगा। मोदी की यह यात्रा भारत की बहुध्रुवीय कूटनीति को दर्शाती है और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास है।
 

मोदी की विदेश यात्रा का महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 29 अगस्त से 1 सितंबर तक की यात्रा जापान और चीन के लिए वैश्विक कूटनीति के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह यात्रा उस समय हो रही है जब अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है, जिससे व्यापारिक दबाव बढ़ गया है। इसके साथ ही, चीन और अमेरिका के बीच दुर्लभ पृथ्वी खनिजों और तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला को लेकर तनाव भी बढ़ा है। इस संदर्भ में, मोदी की यह यात्रा भारत की संतुलित और बहुध्रुवीय विदेश नीति का एक स्पष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।


जापान दौरा और सामरिक साझेदारी

मोदी का 29-30 अगस्त का जापान दौरा 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए है। यह प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ उनकी पहली मुलाकात होगी। भारत और जापान के बीच विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी इस समय और भी महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। इस यात्रा के दौरान रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें नौसैनिक अभ्यास और साइबर सुरक्षा समझौते शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, सेमीकंडक्टर, ईवी बैटरियों और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में तकनीकी निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा।


चीन में SCO शिखर सम्मेलन

31 अगस्त से 1 सितंबर तक, मोदी चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। SCO का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटना है। इस मंच पर भारत, चीन, रूस और पाकिस्तान सहित 10 देश उपस्थित रहेंगे। यहां मोदी की पुतिन से मुलाकात की संभावना है, जो यह दर्शाएगी कि भारत रूस के साथ अपने पारंपरिक संबंधों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह अमेरिका को यह संकेत भी देगा कि भारत वॉशिंगटन पर निर्भर नहीं है।


भारत-पाकिस्तान संबंधों का प्रतीकात्मक महत्व

जब भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री SCO मंच पर एक साथ खड़े होंगे, तो यह वैश्विक स्तर पर एक प्रतीकात्मक तस्वीर बनेगी। यह दर्शाएगा कि कटु संबंधों के बावजूद, दोनों देश क्षेत्रीय सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत इस अवसर का उपयोग अपने जिम्मेदार नेतृत्व की छवि को मजबूत करने में करेगा।


मोदी की यात्रा के संदेश

मोदी की जापान और चीन यात्रा भारत की कूटनीतिक रणनीति के तीन महत्वपूर्ण संदेश देती है। पहला, जापान के साथ रक्षा और तकनीकी सहयोग से भारत इंडो-पैसिफिक में चीन का संतुलन साधेगा। दूसरा, रूस और चीन के साथ संवाद से यह स्पष्ट होगा कि भारत स्वतंत्र और बहुध्रुवीय कूटनीति का पालन कर रहा है। तीसरा, SCO मंच पर एशियाई देशों के साथ सहभागिता भारत की जिम्मेदार क्षेत्रीय शक्ति की भूमिका को और मजबूत करेगी।


विदेश सचिव की जानकारी

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी 28 अगस्त की शाम को जापान की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं। वह 29 और 30 अगस्त को जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह यात्रा भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय एजेंडे के लिए समर्पित होगी।


चीन यात्रा की तैयारी

विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर 31 अगस्त और 1 सितंबर को शंघाई सहयोग परिषद (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक के लिए चीन के तियानजिन का दौरा करेंगे। SCO की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने के लिए की गई थी।