प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा: भारत-अमेरिका संबंधों में नया मोड़
मोदी की अमेरिका यात्रा का महत्व
फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया। यह यात्रा डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद किसी भी विदेशी नेता की पहली उच्चस्तरीय यात्रा थी। इस दौरान वॉशिंगटन डीसी में मोदी और ट्रंप की मुलाकात की एक तस्वीर हाल ही में अमेरिका के नए राजदूत-नामित सर्जियो गोर ने प्रधानमंत्री को भेंट की, जो दोनों देशों के बीच बढ़ती कूटनीतिक निकटता का प्रतीक मानी जा रही है।
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंध
पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के आर्थिक और रणनीतिक संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2024 में, दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार लगभग 186 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत को करीब 41 अरब डॉलर का लाभ हुआ। यह आंकड़ा भारत के निर्यात क्षेत्र की बढ़ती ताकत और अमेरिकी बाजार में उसकी मजबूत उपस्थिति को दर्शाता है।
ट्रंप की नीतियों का प्रभाव
हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप की हालिया नीतियों ने इन संबंधों पर कुछ नकारात्मक प्रभाव डाला है। विशेष रूप से वीज़ा नियमों और बढ़ते टैरिफ ने भारतीय उद्योग में चिंता पैदा की है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त से लागू होने वाले अमेरिकी टैरिफ से भारत के श्रम-प्रधान उद्योगों के निर्यात में 70 प्रतिशत तक की गिरावट संभव है।
कूटनीतिक संवाद में निरंतरता
इसके बावजूद, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद में कोई रुकावट नहीं आई है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी फरवरी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप को इस वर्ष भारत में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने का निमंत्रण दिया। यह बैठक भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की जाएगी।
ट्रंप की संभावित भागीदारी
हालांकि पहले यह संभावना कम मानी जा रही थी कि ट्रंप इस बैठक में शामिल होंगे, लेकिन हालिया घटनाक्रम ने उम्मीदें फिर से जगा दी हैं। सर्जियो गोर ने पिछले महीने कहा था कि राष्ट्रपति "क्वाड देशों के साथ मजबूत सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं," जिससे यह संकेत मिला कि ट्रंप भारत आने पर विचार कर सकते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ट्रंप इस सम्मेलन में भाग लेते हैं, तो यह न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा देगा, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने का भी एक मजबूत संदेश होगा। कुल मिलाकर, भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद सहयोग की नई संभावनाएं उभर रही हैं, और यह स्पष्ट है कि दोनों देश आर्थिक मतभेदों के बावजूद साझा रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हुए भविष्य की साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।