प्रधानमंत्री मोदी का GST में बड़ा बदलाव: क्या राज्य सरकारें होंगी प्रभावित?
GST में प्रस्तावित बदलाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में दिवाली के अवसर पर जीएसटी में महत्वपूर्ण सुधार का आश्वासन दिया है। इसके बाद, वित्त मंत्रालय ने जीएसटी की केवल दो दरें लागू करने का प्रस्ताव मंत्री समूह को भेजा है, जिस पर सितंबर में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में चर्चा की जाएगी.
राज्यों को होगा नुकसान
हालांकि, जीएसटी से केंद्र और राज्य सरकारों की आय में वृद्धि हुई है, लेकिन जब देशभर में केवल दो दरें लागू होंगी, तो इससे राजस्व में कमी आने की संभावना है। इसका सबसे बड़ा असर राज्य सरकारों पर पड़ेगा, जिससे जीएसटी दरों में कटौती के मुद्दे पर केंद्र और राज्यों के बीच विवाद उत्पन्न हो सकता है.
GST 2.0 से संभावित नुकसान
पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा, जिसे व्यापार जगत लंबे समय से मांग रहा था। इस प्रस्ताव के बाद शेयर बाजार में तेजी आई, क्योंकि निवेशकों का मानना था कि रोजमर्रा की वस्तुओं पर टैक्स में कमी से खरीदारी बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। हालांकि, इससे सरकार की आमदनी पर दबाव पड़ेगा, विशेषकर राज्यों की आय पर। अनुमान है कि टैक्स में कटौती से हर साल लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जिसमें केंद्र को जीडीपी का 0.15% और राज्यों को लगभग 0.36% का घाटा उठाना पड़ सकता है.
केंद्र-राज्यों के बीच तनाव
जीएसटी 2.0 के लागू होने से केंद्र और राज्यों के बीच आर्थिक तनाव बढ़ने की संभावना है। कई राज्य पहले से ही यह शिकायत कर रहे हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला है। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि उनके राज्य को हर साल लगभग 21,000 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है, और अब एक नए मुआवजे की व्यवस्था करनी होगी.
बिहार चुनाव से पहले का मास्टर स्ट्रोक
राज्यों की प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही हैं। केरल के पूर्व वित्त मंत्री टी.एम. थॉमस आइजैक ने इसे विनाशकारी बताया, जबकि तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने कहा कि उन्हें पहले प्रस्ताव का प्रभाव समझना होगा। कर्नाटक सरकार के मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा ने चेतावनी दी कि जीएसटी में बड़ा बदलाव राज्यों की वित्तीय स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. यह निर्णय दिवाली से पहले लागू होने की योजना है, जो बिहार चुनाव से ठीक पहले होगा, और इसे चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
राज्यों की जीएसटी में हिस्सेदारी
केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को तेजी से आगे बढ़ाया है। गृह मंत्री अमित शाह जुलाई से ही राज्यों और मंत्रालयों के साथ बातचीत कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी राज्यों से इस प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की है। राज्य सरकारें अपनी आय का लगभग 40% हिस्सा जीएसटी से प्राप्त करती हैं, जबकि जीएसटी से पहले उन्हें अपने टैक्स लगाने का अधिकार था.
लंबी अवधि में लाभ
केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभ में घाटा होगा, लेकिन लंबे समय में बढ़ी हुई खपत से यह घाटा पूरा हो जाएगा। राज्यों के पास शराब और पेट्रोल पर टैक्स बढ़ाकर अतिरिक्त आय करने का विकल्प भी है. इस हफ्ते राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति में इन प्रस्तावों पर चर्चा हो रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को केंद्र का पक्ष रखा.
अंतिम निर्णय
अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल द्वारा लिया जाएगा, जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं और जिसकी अध्यक्षता केंद्र की वित्त मंत्री करेंगी. यदि आम सहमति नहीं बनी, तो वोटिंग कराई जा सकती है, जिसमें तीन-चौथाई बहुमत की आवश्यकता होगी. बीजेपी की सरकार 21 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में होने के कारण इसे पारित कराने में दिक्कत नहीं होगी.