प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की यात्रा: सुरक्षा और आत्मविश्वास का प्रतीक
दिल्ली में सुरक्षा पर उठे सवालों का जवाब
हाल ही में दिल्ली में हुए धमाकों के बाद, कुछ विदेशी मीडिया ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में यह दर्शाया गया कि दिल्ली में सुरक्षा के बड़े खतरे हो सकते हैं, जिससे विदेशी नेताओं की यात्रा प्रभावित हो सकती है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साहसिक कदम उठाकर इन चिंताओं को समाप्त कर दिया। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक साधारण टोयोटा फॉर्च्यूनर में एयरपोर्ट से अपने निवास तक ले जाकर यह संदेश दिया कि दिल्ली और भारत पूरी तरह सुरक्षित हैं।
सुरक्षा प्रोटोकॉल में सरलता
गुरुवार की शाम, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नियमित रेंज रोवर की जगह सफेद टोयोटा फॉर्च्यूनर का चयन किया, जिसमें वह पुतिन के साथ बैठे। यह वाहन आमतौर पर वीआईपी मूवमेंट के दौरान सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उपयोग किया जाता है। यह BS-VI मानकों के अनुरूप है और इसकी फिटनेस 2039 तक वैध है। इस यात्रा ने यह दिखाया कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने सुरक्षा प्रोटोकॉल को सरल बनाकर जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश भेजा।
पुतिन की सुरक्षा का विश्वास
राष्ट्रपति पुतिन आमतौर पर अपनी बख्तरबंद ऑरस सेनट में यात्रा करते हैं, जिसे 'चलता-फिरता बंकर' कहा जाता है। हालांकि, उन्होंने मोदी के साथ फॉर्च्यूनर में यात्रा की, जो उनकी भारत में सुरक्षा पर विश्वास का प्रतीक था। दोनों नेता एयरपोर्ट से सीधे 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास पहुँचे, जिसे भारत-रूस मित्रता के प्रतीकों से सजाया गया था।
अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम
पुतिन की यात्रा के लिए दिल्ली में अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। रूस की फेडरल प्रोटेक्टिव सर्विस और भारत की एसपीजी, एनएसजी, QRT और SWAT इकाइयों ने मिलकर पांच स्तरीय सुरक्षा घेरा तैयार किया है। होटलों की छतों पर AI-सक्षम स्नाइपर और एंटी ड्रोन सिस्टम स्थापित किए गए हैं। पुतिन का विशेष विमान, जिसे 'फ्लाइंग क्रेमलिन' कहा जाता है, वह मिसाइल रोधी तकनीक और बैकअप विमानों के साथ दिल्ली पहुँचा है।
कूटनीति का नया दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पुतिन को फॉर्च्यूनर में ले जाना केवल एक साधारण कूटनीतिक दृश्य नहीं था, बल्कि यह भारत की सुरक्षा, आत्मविश्वास और स्थिरता का वैश्विक संदेश था। यह विदेशी मीडिया के संशयों का एक प्रभावी उत्तर था। इस यात्रा ने यह भी दर्शाया कि व्यक्तिगत विश्वास और आपसी आत्मीयता भी कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भारत-रूस संबंधों का नया मोड़
फॉर्च्यूनर की यह यात्रा आने वाले वर्षों में भारत-रूस संबंधों के लिए एक प्रतीकात्मक मोड़ बन सकती है। यह दर्शाता है कि रिश्ते केवल करारों या रक्षा सौदों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दो नेताओं के बीच भरोसे और समझदारी पर आधारित हैं। यह दृश्य विश्व मंच पर 'भारतीय आत्मविश्वास और स्वतंत्रता' का प्रदर्शन भी था।