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पौष पुत्रदा एकादशी 2025: पूजा विधि और पारण का समय जानें

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 का व्रत 30 दिसंबर को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और संतान सुख के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस लेख में जानें पूजा विधि, पारण का समय और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी। जानें कैसे इस दिन की पूजा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
 

पौष पुत्रदा एकादशी 2025

पौष पुत्रदा एकादशी 2025Image Credit source: Freepik

पौष पुत्रदा एकादशी: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है और साल में 24 बार आती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है। पौष माह के शुक्ल पक्ष में पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है, जो संतान सुख और बच्चों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस व्रत को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। वर्ष 2025 में पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 दिसंबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि और पारण का समय।

पौष पुत्रदा एकादशी कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर को सुबह 7:50 बजे से शुरू होगी और 31 दिसंबर को सुबह 5 बजे समाप्त होगी। इसलिए, उदया तिथि के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 दिसंबर को रखा जाएगा।

पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर ध्यान करें और एकादशी व्रत का संकल्प लें। चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें और उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं। पीले वस्त्र, पीले फूल, तुलसी दल, अक्षत और धूप-दीप अर्पित करें। भगवान को पीली मिठाई और फल का भोग अर्पित करें, जिसमें तुलसी दल शामिल होना चाहिए। इसके बाद, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जप करें और पौष पुत्रदा एकादशी की कथा का पाठ करें। अंत में आरती करके पूजा समाप्त करें।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पारण समय

एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। पौष पुत्रदा एकादशी का पारण 31 दिसंबर को दोपहर 1:26 बजे से 3:31 बजे तक होगा। पारण तिथि पर हरि वासर सुबह 10:12 बजे समाप्त होगा।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पारण विधि

  • पारण सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करें।
  • पारण से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें, दीप जलाएं और भोग अर्पित करें।
  • हल्का और सात्विक भोजन करें।
  • मसालेदार भोजन से पारण न करें।