×

पैरेंट-टीचर मीटिंग में पूछने के लिए महत्वपूर्ण सवाल

पैरेंट-टीचर मीटिंग (PTM) में अपने बच्चे की प्रगति को समझने के लिए सही सवाल पूछना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञ विभा शर्मा ने 7 महत्वपूर्ण सवाल साझा किए हैं, जो माता-पिता को अपने बच्चों के शिक्षकों से पूछने चाहिए। ये सवाल न केवल बच्चे की ताकत और कमजोरियों को उजागर करते हैं, बल्कि उनके व्यवहार और शैक्षणिक प्रदर्शन को भी समझने में मदद करते हैं। जानें कि PTM में कौन से सवाल पूछने से आप अपने बच्चे की समग्र विकास में योगदान कर सकते हैं।
 

पैरेंट-टीचर मीटिंग का महत्व


पैरेंटिंग टिप्स: साल में 2 से 3 बार पैरेंट-टीचर मीटिंग्स का आयोजन होता है, जबकि कुछ स्कूलों में यह हर महीने होती है। इन मीटिंग्स का उद्देश्य माता-पिता और शिक्षकों के बीच संवाद को बेहतर बनाना है।


इन बैठकों के दौरान, माता-पिता अपने बच्चों की प्रगति और प्रदर्शन को समझ सकते हैं, साथ ही यह जान सकते हैं कि उनका बच्चा स्कूल में कैसे व्यवहार करता है। शिक्षकों को भी यह अवसर मिलता है कि वे माता-पिता को बताएं कि बच्चे की परफॉर्मेंस में क्या अच्छा है और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। लेकिन माता-पिता को बिना तैयारी के नहीं जाना चाहिए; उन्हें ऐसे सवाल पूछने चाहिए जो उनके बच्चे की समग्र प्रगति को समझने में मदद करें।


PTM में पूछने वाले सवाल

पैरेंटिंग विशेषज्ञ विभा शर्मा अपने सोशल मीडिया पर ऐसे उपयोगी टिप्स साझा करती हैं। उन्होंने एक वीडियो में 7 महत्वपूर्ण सवाल बताए हैं जो माता-पिता को अपने बच्चों के शिक्षकों से पूछने चाहिए।


पहला सवाल: क्या मेरा बच्चा कक्षा में ध्यान से सुनता है और सक्रिय रूप से भाग लेता है?


दूसरा सवाल: मेरे बच्चे के कौन से विषय मजबूत हैं और किस विषय में सुधार की आवश्यकता है?


तीसरा सवाल: मेरे बच्चे का कक्षा में व्यवहार कैसा है? क्या वह अन्य बच्चों की मदद करता है?


चौथा सवाल: मेरा बच्चा किन अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों में रुचि रखता है?


पांचवा सवाल: क्या बच्चा कक्षा में अपने सामान का ध्यान रख पाता है?


छठा सवाल: हम माता-पिता उसकी शैक्षणिक प्रगति में कैसे मदद कर सकते हैं?


सातवां सवाल: मेरे बच्चे के बारे में कोई ऐसी बात है जिसे मुझे जानना आवश्यक है?


PTM में सवाल पूछने का महत्व

क्यों जरूरी है सवाल करना:



  1. बच्चे की ताकत और कमजोरियों का पता चलता है, जिससे सुधार की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।

  2. बच्चे के व्यवहार को समझने में मदद मिलती है, जिससे शिक्षकों को यह जानने का मौका मिलता है कि बच्चा घर पर कैसा है।

  3. बच्चे की प्रगति के बारे में जानकारी मिलती है, जिससे उसकी क्षमता को समझने में मदद मिलती है।

  4. शिक्षण विधियों पर चर्चा की जा सकती है, जिससे माता-पिता को घर पर पढ़ाने में सहायता मिलती है।

  5. बच्चा किन अतिरिक्त गतिविधियों में अच्छा है, इस बारे में माता-पिता को जानकारी मिलती है।