पूजा में पुनः उपयोग की जाने वाली वस्तुएं और निषिद्ध चीजें
पूजा-पाठ के नियम
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Puja Ke Niyam: हर परिवार में नियमित रूप से पूजा का आयोजन किया जाता है। यह भगवान से जुड़ने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। पूजा में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं पवित्र मानी जाती हैं। कुछ वस्तुएं भगवान को अर्पित करने के बाद भी शुद्ध रहती हैं, जबकि कुछ का पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता। आइए जानते हैं कि पूजा में किन चीजों का पुनः उपयोग किया जा सकता है और किन्हें नहीं।
पूजा में पुनः उपयोग की जाने वाली वस्तुएं
चांदी, पीतल और अन्य सामग्री
धार्मिक परंपराओं के अनुसार, पूजा में चांदी, पीतल या तांबे के बर्तन का पुनः उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, भगवान की मूर्तियां, घंटियां, शंख, मंत्र जप की माला और आसन को भी बार-बार पूजा में इस्तेमाल किया जा सकता है। इन वस्तुओं को पूजा के बाद अच्छी तरह से साफ करके सुरक्षित रखना चाहिए।
तुलसी का महत्व
तुलसी
तुलसी को हिंदू धर्म में विशेष स्थान दिया गया है। इसे माता मानकर पूजा की जाती है। तुलसी की पत्तियों का उपयोग पूजा में किया जाता है और यह कभी भी अपवित्र नहीं होती। इसलिए, यदि नए तुलसी के पत्ते उपलब्ध नहीं हैं, तो पहले चढ़ाई गई तुलसी को पुनः भगवान को अर्पित किया जा सकता है।
बेलपत्र का उपयोग
बेलपत्र
भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है। शिवपुराण के अनुसार, बेलपत्र 6 महीने तक बासी नहीं होते। शिवलिंग पर अर्पित करने के बाद भी इसका पुनः उपयोग किया जा सकता है, बशर्ते कि बेलपत्र खंडित या दागदार न हो।
इन चीजों का पुनः उपयोग न करें
इन चीजों का पूजा में दोबारा न करें उपयोग
भगवान को अर्पित किया गया भोग, जल, फूल, माला, चंदन, कुमकुम, धूप, दीप, नारियल और अक्षत का पुनः उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। मान्यता है कि इनका एक बार उपयोग होने के बाद ये शुद्ध नहीं रह जाती हैं। इनका पुनः उपयोग करने से पूजा का फल नहीं मिलता।