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पुरी की वार्षिक रथ यात्रा संपन्न, लाखों श्रद्धालुओं ने लिया भाग

ओडिशा के पुरी में आयोजित वार्षिक रथ यात्रा का समापन शनिवार को हुआ, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के रथों को 12वीं सदी के मंदिर में लौटाया गया। इस भव्य आयोजन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने यात्रा की गतिविधियों की निगरानी की। जानें इस धार्मिक उत्सव की और खास बातें।
 

पुरी में रथ यात्रा का समापन

ओडिशा के पुरी में नौ दिन तक चलने वाली वार्षिक रथ यात्रा शनिवार को समाप्त हो गई, जब भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ 12वीं सदी के मंदिर में लौट आए। इस भव्य आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।


पुरी के ग्रैंड रोड पर, भक्तों ने देवताओं के रथों को मंदिर के सिंह द्वार तक खींचा। ‘जय जगन्नाथ’ और ‘हरिबोल’ के उद्घोष के बीच, लाखों भक्तों ने भगवान बलभद्र के रथ ‘तलध्वज’, देवी सुभद्रा के ‘दर्पदलन’ और जगन्नाथ के ‘नंदीघोष’ को श्री गुंडिचा मंदिर से 2.6 किलोमीटर की दूरी तय कराते हुए 12वीं सदी के मंदिर तक पहुँचाया।


इस वापसी रथ यात्रा को स्थानीय भाषा में ‘बहुड़ा’ यात्रा कहा जाता है, जो भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की नौ दिन की वार्षिक यात्रा के समापन का प्रतीक है। ‘बहुड़ा’ यात्रा के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।


मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस यात्रा की सभी गतिविधियों की निगरानी की, और सभी प्रमुख पुलिस और नागरिक प्रशासन के अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए मौके पर मौजूद थे कि कोई अप्रिय घटना न हो।