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पुतिन का भारत दौरा: रक्षा सहयोग और ब्रह्मोस मिसाइल पर महत्वपूर्ण चर्चा

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 5 दिसंबर को भारत में महत्वपूर्ण द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आ रहे हैं। यह उनकी पहली यात्रा है जो यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद हो रही है। पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत संस्करण और अन्य रक्षा समझौतों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इसके अलावा, दोनों नेता यूक्रेन के विवाद पर भी विचार करेंगे। इस दौरे से भारत-रूस संबंधों में नई दिशा मिलने की संभावना है।
 

भारत में पुतिन का आगमन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 5 दिसंबर को भारत में 23वें वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आ रहे हैं। यह उनकी नई दिल्ली की यात्रा यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पहली बार हो रही है, और यह एक चुनौतीपूर्ण समय में हो रहा है।


पुतिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी के साथ महत्वपूर्ण बैठक करेंगे, जिसमें कई महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इनमें सबसे प्रमुख ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत संस्करण पर बातचीत की संभावना है, जो भारत की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है।


ब्रह्मोस मिसाइल की रणनीतिक महत्वता

ब्रह्मोस ने पहले ही भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी रणनीतिक महत्वता साबित की है, जहां इसने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया था। इसके उन्नत संस्करण की अपेक्षा की जा रही है कि यह और भी अधिक घातक होगा।


ब्रह्मोस-NG: अगली पीढ़ी का सुपरसोनीक अपग्रेड

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच बातचीत का मुख्य फोकस ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत और अधिक खतरनाक संस्करण पर रहने की संभावना है। इस अपग्रेडेड मॉडल, जिसे ब्रह्मोस-NG (नेक्स्ट जेनरेशन) कहा जाता है, का उद्देश्य सिस्टम की लड़ाकू क्षमता को और बढ़ाना है.


ब्रह्मोस-NG की विशेषताएँ

स्पीड: 4,322 किमी प्रति घंटा


आकार: पुराने संस्करण की तुलना में छोटा


वजन: हल्का, जिससे इसे आसानी से तैनात किया जा सकेगा


एयरक्राफ्ट क्षमता: फाइटर जेट 6-7 मिसाइल ले जा सकेंगे, जिससे स्ट्राइक क्षमता में वृद्धि होगी


लॉन्च में आसानी: आसान और अधिक लचीले लॉन्च ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया


Su-57 और S-400 पर चर्चा

रूस ने भारत को अपने Su-57 पांचवीं पीढ़ी के जेट की पेशकश की है, क्योंकि नई दिल्ली फाइटर एयरक्राफ्ट के बेहतर विकल्पों की तलाश में है। इस पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा होने की संभावना है।


पुतिन और मोदी अतिरिक्त S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की मांग पर एक समझौते पर भी चर्चा कर सकते हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महत्वपूर्ण थे।


यूक्रेन विवाद पर चर्चा

दोनों नेता यूक्रेन में चल रहे विवाद पर भी चर्चा कर सकते हैं, जो पिछले ढाई साल से जारी है। भारत ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि रूस और यूक्रेन के बीच मुद्दों का समाधान बातचीत और कूटनीतिक तरीकों से होना चाहिए।