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पुतिन का भारत दौरा: द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हालिया भारत दौरा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने उनका स्वागत किया और दोनों नेताओं के बीच कई महत्वपूर्ण बैठकों का आयोजन किया गया। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना और व्यापार असंतुलन को संबोधित करना है। पुतिन ने कहा कि भारत-रूस सहयोग किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि अपने-अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए है। जानें इस दौरे के प्रमुख कार्यक्रम और विशेषज्ञों की राय।
 

पुतिन का भारत दौरा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार रात भारत का दौरा किया, जो लगभग 27 घंटे तक चला। इस यात्रा का उद्देश्य एक ऐसे द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करना है, जो पिछले आठ दशकों से वैश्विक तनाव के बावजूद स्थिर बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन का नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर गर्मजोशी से स्वागत किया, जो इस दौरे के महत्व को दर्शाता है। यह चार वर्षों में पुतिन का भारत का पहला दौरा है। दोनों नेता एक ही वाहन में हवाई अड्डे से निकले, लगभग तीन महीने बाद जब वे शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान तियानजिन में एक साथ यात्रा कर रहे थे। पुतिन का भारत आगमन इस समय महत्वपूर्ण है, जब भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव बढ़ रहा है। उम्मीद है कि दोनों पक्ष व्यापार सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे।


पुतिन का स्वागत

पीएम मोदी ने पुतिन के स्वागत में कहा, "मेरे मित्र, राष्ट्रपति पुतिन का भारत में स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। आज शाम और कल हमारी बातचीत का इंतज़ार है। भारत-रूस की मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है और इससे हमारे लोगों को बहुत लाभ हुआ है।" पुतिन के दौरे के दूसरे दिन, वे नई दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठकों और कार्यक्रमों में भाग लेंगे।


दौरे का कार्यक्रम

पुतिन का भारत दौरा: दूसरे दिन का शेड्यूल


सुबह 11:00 बजे: राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत।


सुबह 11:30 बजे: राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि।


सुबह 11:50 बजे: हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी से मुलाकात।


दोपहर 1:50 बजे: संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस।


दोपहर 3:40 बजे: भारत-रूस बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे।


शाम 7:00 बजे: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात।


रात 9:00 बजे: रूस के लिए प्रस्थान।


विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन का दौरा रक्षा, व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने में सहायक होगा। पूर्व डिप्लोमैट अरुण सिंह ने कहा कि भारत-रूस साझेदारी को हमेशा मॉस्को द्वारा राजनीतिक और रक्षा समर्थन से पहचाना गया है।


आर्थिक सहयोग पर ध्यान

हैदराबाद हाउस में मुख्य एजेंडा आर्थिक पुनर्गठन है, क्योंकि दोनों नेता बाहरी प्रतिबंधों और जियोपॉलिटिकल अनिश्चितता के बीच द्विपक्षीय व्यापार को सुरक्षित रखने के लिए काम कर रहे हैं। भारत के लिए एक प्राथमिकता रूसी तेल आयात में वृद्धि के कारण व्यापार असंतुलन को संबोधित करना है। यह शिखर सम्मेलन भारतीय निर्यात में वृद्धि के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा।


नेता 2030 तक रूसी-भारतीय आर्थिक सहयोग के रणनीतिक क्षेत्रों के विकास के लिए दीर्घकालिक कार्यक्रम की घोषणा करेंगे, जिसमें 100 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य रखा गया है।


पुतिन की टिप्पणियाँ

पुतिन ने कहा कि भारत और रूस का सहयोग किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ तत्व भारत के साथ रूस के घनिष्ठ संबंधों के मद्देनजर भारत की बढ़ती भूमिका को नापसंद करते हैं और राजनीतिक कारणों से बाधाएं खड़ी करने का प्रयास कर रहे हैं।


पश्चिमी प्रतिबंधों का प्रभाव

पुतिन ने एक निजी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों का उनके देश के भारत के साथ ऊर्जा सहयोग पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ रहा है।


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