पी. चिदंबरम ने ऑपरेशन ब्लू स्टार पर उठाए सवाल, इंदिरा गांधी को अकेला दोषी नहीं ठहराया
चिदंबरम का ऑपरेशन ब्लू स्टार पर बयान
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार को एक गलत कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई की कीमत कांग्रेस नेता को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। चिदंबरम ने यह टिप्पणी शनिवार को हिमाचल प्रदेश के कसौली में खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव के दौरान की, जहां उन्होंने पत्रकार हरिंदर बावेजा की पुस्तक 'दे विल शूट यू, मैडम' पर चर्चा की।
सामूहिक निर्णय का जिक्र
चिदंबरम ने स्वीकार किया कि ऑपरेशन ब्लू स्टार एक गलती थी, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय केवल इंदिरा गांधी का नहीं था। उन्होंने कहा कि यह सेना, पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सिविल सेवा का सामूहिक निर्णय था।
उन्होंने कहा, 'स्वर्ण मंदिर को पुनः प्राप्त करने का यह गलत तरीका था... सभी उग्रवादियों को पकड़ने का एक तरीका था। ब्लू स्टार गलत तरीका था।'
चिदंबरम ने आगे कहा, 'मैं मानता हूं कि श्रीमती गांधी ने उस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई, लेकिन यह एक सामूहिक निर्णय था। हम केवल श्रीमती गांधी को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते।'
ऑपरेशन ब्लू स्टार का इतिहास
ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 से 8 जून, 1984 के बीच चलाया गया था। यह कार्रवाई इंदिरा गांधी की सरकार ने पंजाब में कट्टरपंथी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व वाले अलगाववादी आंदोलन को समाप्त करने के लिए की थी।
भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर में धावा बोला, जहां भिंडरावाले छिपे हुए थे। इस कार्रवाई में भिंडरावाले मारे गए और अकाल तख्त को गंभीर नुकसान पहुंचा। इस सैन्य कार्रवाई ने सिख समुदाय में भारी आक्रोश पैदा किया। कुछ महीनों बाद, इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी।
पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के बाद, समुदाय के खिलाफ व्यापक हिंसा हुई, जिसमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली और अन्य स्थानों पर 3,000 से अधिक सिख मारे गए। कांग्रेस पार्टी को 1984 के दंगों को संभालने के तरीके के लिए लगातार आलोचना का सामना करना पड़ा है।