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पी चिदंबरम का बयान: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान और चीन का संयुक्त खतरा

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं। उन्होंने बताया कि यह युद्ध केवल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं था, बल्कि चीन के साथ एक संयुक्त खतरे का सामना भी किया गया। चिदंबरम ने सरकार की अनिच्छा पर भी सवाल उठाए और कहा कि संसद में इस ऑपरेशन पर चर्चा होनी चाहिए। जानें उनके विचार और इस मुद्दे पर उनके द्वारा उठाए गए सवाल।
 

ऑपरेशन सिंदूर पर चिदंबरम का विश्लेषण

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत का संघर्ष केवल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह पाकिस्तान और चीन दोनों के संयुक्त खतरे का सामना कर रहा था। राज्यसभा में इस विषय पर चर्चा करते हुए, चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि भारत एक या दो मोर्चों पर नहीं, बल्कि दोनों देशों के खिलाफ एक संयुक्त युद्ध में शामिल था।


 


चिदंबरम ने बताया कि उप सेना प्रमुख ने स्वीकार किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने चीनी विमानों और मिसाइलों का इस्तेमाल किया। यदि यह सच है, तो यह दर्शाता है कि पाकिस्तान चीनी मिसाइलों का परीक्षण कर रहा था, और भारत को एक संयुक्त मोर्चे पर लड़ाई लड़नी पड़ी। उन्होंने सवाल उठाया कि अब पाकिस्तान और चीन अलग-अलग मोर्चों पर नहीं, बल्कि एक साथ मिलकर लड़ रहे हैं। पायलट पाकिस्तानी थे, लेकिन विमानों का संबंध चीन से था।


 


ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में विशेष सत्र बुलाने की सरकार की अनिच्छा पर चिदंबरम ने कहा कि यह स्पष्ट करने में समय लगेगा कि यह ऑपरेशन निर्णायक था या नहीं। उन्होंने कहा कि हम इस विषय पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग करते रहे हैं, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि जब भी युद्ध होता है, तब संसद में उसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होती है।


 


भारत की खुफिया विफलता पर सवाल उठाते हुए, चिदंबरम ने कहा कि जब सैन्य नेतृत्व ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया है, तो फिर देश युद्धविराम पर क्यों सहमत हुआ। उन्होंने कहा, "मैं मानता हूँ कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत का नेतृत्व अनुकरणीय था, लेकिन हमारे सैन्यकर्मियों ने अपनी सामरिक गलतियों को स्वीकार किया है।"