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पितृ पक्ष में तर्पण की विधि और महत्व

पितृ पक्ष 2025 का आरंभ 7 सितंबर से हुआ है, जब हिंदू धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस लेख में, हम तर्पण की विधि, आवश्यक सामग्री और इसके लाभों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे सही विधि से तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
 

पितृ पक्ष में तर्पण की विधि


पितृ पक्ष में तर्पण की विधि: पितृ पक्ष 2025 का आरंभ 7 सितंबर से हुआ है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होता है। यह वह विशेष समय है जब हिंदू धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से पितृ पक्ष का बहुत महत्व है क्योंकि इस समय माना जाता है कि हमारे पूर्वज इस धरती पर आते हैं। इसलिए, इस पवित्र समय में उनकी पूजा करना और तर्पण अर्पित करना शुभ और फलदायी माना जाता है। यह उनके प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का एक तरीका भी है।



पूर्वजों का तर्पण करने के लिए सही विधि और पूजा सामग्री का ज्ञान होना आवश्यक है, ताकि यह कार्य सही तरीके से किया जा सके। तर्पण के दौरान, जल, तिल, कपूर और कुछ अन्य पवित्र वस्तुओं का उपयोग किया जाता है, जिनके बिना यह अनुष्ठान अधूरा माना जाता है। इसके साथ ही, तर्पण करते समय मंत्रों का जाप करना भी आवश्यक है, ताकि पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिल सके। इस लेख में, हम आपको पितृ पक्ष में तर्पण की विधि और आवश्यक सामग्री के बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि आप इस पवित्र कार्य को सही तरीके से कर सकें।


पितृ पक्ष में तर्पण कैसे करें?


यदि आप पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों के लिए तर्पण करने की योजना बना रहे हैं, तो आपके पास इसके लिए कुछ विशेष सामग्री होनी चाहिए। इन वस्तुओं के साथ पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ तर्पण करने से आपके जीवन में शांति, खुशी और समृद्धि आती है। सही विधि और आवश्यक सामग्री के बिना यह अनुष्ठान अधूरा माना जाता है, इसलिए तैयारी पूरी रखना महत्वपूर्ण है।


पूर्वजों के लिए तर्पण में आवश्यक सामग्री


शुद्ध जल
काले तिल
ताजा कच्चा गाय का दूध
जौ के दाने
दुर्वा घास (कुश)
तांबे या पीतल का बर्तन
स्वच्छ सफेद कपड़े
पुरुषों के लिए धोती और जनेऊ
इन सभी चीजों का उपयोग सावधानीपूर्वक और पवित्रता के साथ किया जाना चाहिए ताकि तर्पण का पुण्य सही तरीके से प्राप्त हो सके।


तर्पण करने की विधि


तर्पण से पहले स्नान करें, ध्यान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।


पुरुषों को इस दिन धोती और पवित्र धागा पहनना चाहिए।


तर्पण करते समय दक्षिण की ओर मुंह करके तिल, जौ और कुश को एक स्वच्छ आसन पर रखें और तांबे या पीतल के बर्तन में जल भरें।


अपने पूर्वजों के नाम लेकर संकल्प लें।


फिर कुश और तिल को दाहिने हाथ में और जल का बर्तन बाएं हाथ में लेकर पूर्वजों को तर्पण करें।


इस दौरान मंत्र का जाप करें: “ॐ (पूर्वजों का नाम) गोत्राय शर्मा नमः तर्पयामि।”


तर्पण के बाद पूर्वजों से आशीर्वाद लें और शेष जल को किसी वृक्ष या पवित्र जलाशय में डाल दें।


इस विधि से किया गया तर्पण पूर्वजों की आत्माओं को संतुष्ट करता है, और उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में खुशी, समृद्धि और शांति आती है।



पितृ पक्ष में तर्पण के लाभ
पितृ पक्ष में तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, और उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं, करियर और व्यापार की समस्याएं दूर होती हैं। विशेष रूप से यदि आप पितृ दोष से प्रभावित हैं, तो पूर्वजों की पूजा और तर्पण करने से आपको विशेष लाभ मिलता है। इसलिए, इस पवित्र समय में तर्पण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।


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