पितृ पक्ष में जन्मे बच्चों का महत्व और भविष्य
पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष में जन्म: पितृ पक्ष वह समय है जब लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और श्राद्ध एवं तर्पण के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह 15 दिनों का एक विशेष समय होता है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या पर समाप्त होता है। इस वर्ष, पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान लोग अपने खान-पान और व्यवहार के संबंध में कई नियमों का पालन करते हैं, साथ ही अनुष्ठान भी करते हैं।
क्या विशेष है इस समय जन्मे बच्चों में?
क्या आपने कभी सोचा है कि इस पवित्र समय में जन्मे बच्चे का क्या अर्थ है? क्या यह केवल एक संयोग है, या इसके पीछे कोई गहरा अर्थ है? ज्योतिष और परंपराओं के अनुसार, पितृ पक्ष में जन्मे बच्चे केवल संयोग नहीं होते, बल्कि एक विशेष संकेत होते हैं। भोपाल के ज्योतिषी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा इस विषय पर और जानकारी देते हैं।
पितृ पक्ष में जन्मे बच्चों का भविष्य
इस समय जन्मे बच्चों का विशेष महत्व:
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में जन्मे बच्चों को उनके पूर्वजों से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि जब इस अवधि में कोई बच्चा जन्म लेता है, तो घर में सुख-समृद्धि का संचार होता है। ऐसे बच्चे पूर्वजों के आशीर्वाद से संपन्न होते हैं और उनमें पूर्वजों की आत्मा का अंश होता है।
भविष्य में क्या लाते हैं ऐसे जन्म?
ज्योतिषियों का मानना है कि पितृ पक्ष में जन्मे बच्चे आमतौर पर उज्ज्वल भविष्य के स्वामी होते हैं। ये बच्चे मेहनती, बुद्धिमान और आत्मविश्वास से भरे होते हैं। जीवन में उन्हें संघर्षों का सामना करना पड़ता है, लेकिन उनका आत्मविश्वास इतना मजबूत होता है कि वे हर चुनौती का सामना करते हैं और आगे बढ़ते हैं।
यह शुभ संकेत क्यों माना जाता है?
पितृ पक्ष में जन्म लेना शुभ माना जाता है क्योंकि यह वह समय होता है जब आत्माएँ पृथ्वी पर आती-जाती हैं। जब इस समय कोई बच्चा जन्म लेता है, तो ऐसा माना जाता है कि एक पूर्वज आत्मा उसी परिवार में वापस आई है। इसलिए, यह भी माना जाता है कि आत्मा उसी वंश में पुनर्जन्म लेना चाहती है, जिसके साथ उसका पुराना संबंध रहा है।
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