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पिता के अफेयर से दुखी बेटे की कहानी: एक भावनात्मक संघर्ष

राजू की कहानी एक ऐसे बेटे की है जो अपनी मां की बीमारी के दौरान अपने पिता के अफेयर से बेहद दुखी है। उसने अपनी भावनाओं को एक काउंसलर के सामने रखा, जहां उसने अपने गुस्से और निराशा को साझा किया। यह कहानी न केवल पारिवारिक संबंधों की जटिलता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने दर्द को समझने और उसे संभालने की कोशिश करता है। जानें राजू की व्यथा और काउंसलर की सलाह।
 

राजू की दर्दभरी कहानी


कल्पना कीजिए कि आपकी मां गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं और आपके पिता इस कठिन समय में किसी अन्य महिला के साथ संबंध बना लेते हैं। यह स्थिति कितनी दर्दनाक होगी। राजू (बदला हुआ नाम) ने अपनी इस कठिनाई को एक काउंसलर के सामने रखा।


काउंसलर ने बताया कि राजू अपने पिता से बेहद नाराज था, खासकर जब उसके पिता अपनी पत्नी के अंतिम दिनों में किसी और के साथ समय बिता रहे थे। राजू ने अपने गुस्से को साझा करते हुए कहा कि वह अपने पिता को नुकसान पहुंचाने के बारे में भी सोच रहा था।


राजू ने कहा, "मैं अपने मां-बाप का इकलौता बेटा हूं। मेरे पिता 53 साल के हैं और मां 50 साल की थीं। जब मां बीमार हुईं, तो पिता का व्यवहार बदल गया। वह मां के साथ समय बिताने के बजाय किसी और के साथ व्यस्त रहने लगे।"


राजू ने एक दिन अपने पिता का मोबाइल चेक किया और पाया कि उसमें उनकी मां की सहेली के साथ रोमांटिक तस्वीरें थीं। यह सब जानकर उसने मां को नहीं बताया, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उनका दिल टूटे।


जब मां की तबीयत और बिगड़ गई, तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन पिता वहां नहीं आए। मां के निधन के बाद, पिता ने कहा कि वह एक पुराने दोस्त से मिलने जा रहे हैं। राजू ने पूछा, "क्या वह एक महिला है?" पिता ने कहा कि वह उनकी मां के जाने के दुख में मदद कर रही है।


राजू ने कहा, "मेरे लिए यह असहनीय है। कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं उन्हें मार दूं। मैं अपनी मां को बहुत याद करता हूं।"


एक्सपर्ट ने राजू को सलाह दी कि उसके गुस्से का होना स्वाभाविक है। पिता की इस स्थिति में शायद वह कमजोर थे और किसी का सहारा लेना चाहते थे। काउंसलर ने कहा कि नफरत करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि इससे दुख और बढ़ेगा।