पार्थ पवार के खिलाफ भूमि सौदे में विवाद: उपमुख्यमंत्री का बयान
पार्थ पवार पर उठे सवाल
पुणे के मुंधवा क्षेत्र में सरकारी संपत्ति की कथित अवैध बिक्री के मामले में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में कहा है कि "किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा", हालांकि एफआईआर में पार्थ का नाम नहीं है। फडणवीस ने नागपुर में कहा, "जो लोग एफआईआर की प्रक्रिया को नहीं समझते, वही बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। एफआईआर संबंधित पक्षों के खिलाफ होती है। इस मामले में कंपनी और उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।"
विपक्ष का आरोप
शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि उच्च स्तर पर मिलीभगत के चलते 1,800 करोड़ रुपये की जमीन का मूल्यांकन कम करके पार्थ पवार की कंपनी अमेडिया एंटरप्राइजेज को 300 करोड़ रुपये में बेचा गया। इसमें स्टांप शुल्क में भी अनियमितता पाई गई, जबकि 21 करोड़ रुपये की छूट मिलनी चाहिए थी।
अजित पवार का बचाव
अपने बेटे द्वारा सरकारी जमीन खरीदने के विवाद के बीच, अजित पवार ने कहा कि उन्हें और उनके बिजनेस पार्टनर को इस बात की जानकारी नहीं थी कि खरीदी गई जमीन राज्य की है। उन्होंने बताया कि यह विवादास्पद सौदा अब रद्द कर दिया गया है। यह जमीन अमेडिया एंटरप्राइजेज को लगभग 300 करोड़ रुपये में बेची गई थी, जबकि इसका वास्तविक बाजार मूल्य 1,800 करोड़ रुपये था।
जांच की प्रक्रिया
अजित पवार ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त समिति एक महीने में सौदे की जांच की रिपोर्ट पेश करेगी। उन्होंने बताया कि राजस्व सचिव की अंतरिम रिपोर्ट में जमीन के लेन-देन में गंभीर गड़बड़ियों का उल्लेख किया गया है। पवार ने कहा, "सौदे से जुड़े दस्तावेजों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है।"
प्राथमिकी में नाम
पार्थ पवार के व्यावसायिक साझेदार दिग्विजय पाटिल का नाम दो एफआईआर में शामिल किया गया है। एक एफआईआर में उन पर अवैध सौदे में मिलीभगत का आरोप है, जबकि दूसरी में स्टांप शुल्क की चोरी का आरोप है।
आगे की कार्रवाई
अजित पवार ने कहा कि यदि कोई अनियमितता पाई जाती है, तो उनके रिश्तेदारों से जुड़े अन्य भूमि सौदों को रद्द किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरती जाए।