पापांकुशा एकादशी 2025: पूजा विधि और महत्व जानें
पापांकुशा एकादशी 2025 का व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानें इस व्रत की तिथि, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।
Sep 21, 2025, 13:26 IST
पापांकुशा एकादशी 2025 का महत्व
Papankusha Ekadashi 2025 Date
पापांकुशा एकादशी 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और यह विशेष रूप से विष्णु भक्तों के लिए पुण्यदायी है। मान्यता है कि इस दिन भगवान पद्मनाभ (श्रीविष्णु) की पूजा करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पापांकुशा एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ – 02 अक्टूबर 2025 को 07:10 PM
- एकादशी तिथि समाप्त – 03 अक्टूबर 2025 को 06:32 PM
- व्रत और पूजा का दिन: 3 अक्टूबर 2025, बुधवार
- पारण का समय: 4 अक्टूबर 2025- सुबह 06:16 से 08:37 तक रहेगा।
पापांकुशा एकादशी पूजा विधि
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- घर के पूजा स्थल को साफ करके भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- कलश में जल, आम्रपत्र और नारियल रखें।
- विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।
- तुलसी पत्र, पीला पुष्प, धूप, दीप, फल, पंचामृत और मिष्ठान से भगवान विष्णु की पूजा करें।
- शाम को भगवान विष्णु की आरती करें और भजन-कीर्तन करें।
- व्रत का पारण द्वादशी तिथि को सुबह भोजन करके करें।
पापांकुशा एकादशी का महत्व
- इस व्रत से सभी पापों का क्षय होता है और भक्त को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
- शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत से मृत्यु भय और नरक से मुक्ति मिलती है।
व्रत के नियम
- इस दिन अनाज, चावल, उड़द, मसूर, चना और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और बुरे विचारों से दूर रहें।
- गरीबों को दान अवश्य करें।
पापांकुशा एकादशी व्रत 2025 का पालन करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा करने पर भक्त को लोक और परलोक दोनों में शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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