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पाकिस्तान में हिंदू तीर्थयात्रियों को रोका गया: अमर चंद का अनुभव

गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर पाकिस्तान जाने वाले हिंदू तीर्थयात्री अमर चंद और उनके परिवार को पाकिस्तानी अधिकारियों ने रोका। उनका आरोप है कि उन्हें केवल हिंदू होने के कारण सिख जत्थे के साथ यात्रा करने से मना किया गया। इस घटना में लखनऊ के अन्य तीर्थयात्रियों को भी वापस भेजा गया। जानें इस मामले की पूरी कहानी और अमर चंद का अनुभव।
 

पाकिस्तान यात्रा में बाधा

गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के अवसर पर पाकिस्तान जाने वाले हिंदू तीर्थयात्री अमर चंद और उनके परिवार के छह सदस्यों को पाकिस्तानी अधिकारियों ने वापस भेज दिया। उनका आरोप है कि उन्हें केवल हिंदू होने के कारण सिख जत्थे के साथ यात्रा करने से रोका गया।


सिख तीर्थयात्रियों का जत्था

मंगलवार को अटारी-वाघा बॉर्डर के माध्यम से लगभग 1,900 सिख तीर्थयात्री पाकिस्तान पहुंचे, जो 4 से 13 नवंबर तक वहां रहेंगे। इस दौरान श्रद्धालु विभिन्न गुरुद्वारों का दौरा करेंगे, जिनमें गुरुद्वारा ननकाना साहिब और गुरुद्वारा दरबार साहिब शामिल हैं। अमर चंद भी इसी जत्थे का हिस्सा थे।


अमर चंद का बयान

अमर चंद ने बताया कि उन्होंने और उनके परिवार ने पाकिस्तान में प्रवेश के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कीं और तीर्थयात्रियों के लिए विशेष बस में यात्रा करने के लिए 95,000 पाकिस्तानी रुपये खर्च किए। लेकिन बस में बैठने के बाद, पांच पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन्हें उतरने के लिए कहा और कहा कि 'तुम हिंदू हो, सिख जत्थे के साथ नहीं जा सकते।' इसके बाद उन्हें वापस भेज दिया गया।


अन्य तीर्थयात्रियों की भी वापसी

अमर चंद ने यह भी बताया कि लखनऊ के सात अन्य भारतीयों को भी पाकिस्तानी अधिकारियों ने वापस भेज दिया। भारतीय अधिकारियों ने इस मामले में पाकिस्तानी पक्ष से स्पष्टीकरण मांगा।


अमर चंद की पृष्ठभूमि

अमर चंद पहले पाकिस्तानी नागरिक थे, जो 1999 में भारत आए और 2010 में भारतीय नागरिकता प्राप्त की।


सरकार की अनुमति

इससे पहले, केंद्र सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान जाने से मना कर दिया था, लेकिन बाद में अनुमति दी गई।