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पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच सैन्य समझौता: सुरक्षा सहयोग की नई दिशा

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक नया सैन्य समझौता किया है, जो नाटो के सिद्धांतों के समान है। इस समझौते के तहत, एक देश पर हमले को दूसरे देश पर हमले के रूप में माना जाएगा। भारत के साथ सऊदी अरब की गहरी रणनीतिक साझेदारी के बीच यह समझौता एक महत्वपूर्ण मोड़ है। जानें इस समझौते के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।
 

पाकिस्तान और सऊदी अरब का नया सैन्य समझौता

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो नाटो के सिद्धांतों के समान है। इस समझौते के अनुसार, यदि एक देश पर हमला होता है, तो इसे दूसरे देश पर हमले के रूप में माना जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस समझौते पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच एक गहरी रणनीतिक साझेदारी विकसित हुई है, और हमें उम्मीद है कि इस साझेदारी में आपसी हितों का ध्यान रखा जाएगा।


हालांकि, पाकिस्तान और सऊदी अरब ने इस सैन्य करार के सभी विवरणों को सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन एक सऊदी अधिकारी ने कहा है कि इस समझौते में सभी सैन्य विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है। दोनों देशों के बीच इस समझौते पर चर्चा काफी समय से चल रही थी।


सऊदी अरब, जो पहले भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में लगा था, ने अचानक इस समझौते के माध्यम से भारत को चौंका दिया है। दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि यह समझौता उनकी सुरक्षा को बढ़ाने और वैश्विक शांति को स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार, इस समझौते का उद्देश्य रक्षा सहयोग को विकसित करना और किसी भी आक्रमण के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करना है। इसमें यह भी कहा गया है कि किसी भी देश पर हमले को दोनों देशों के खिलाफ हमले के रूप में देखा जाएगा।