पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची से नाम हटाने पर सियासी हलचल
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जाने के बाद राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। तृणमूल कांग्रेस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्वाचन क्षेत्र भवानिपुर में हटाए गए मतदाताओं के नामों की पुनः जांच कराने का आदेश दिया है। चुनाव आयोग द्वारा चलाए गए विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत यह कदम उठाया गया है। टीएमसी ने प्रभावित मतदाताओं के साथ खड़े रहने का निर्देश दिया है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ने की संभावना है।
Dec 17, 2025, 21:25 IST
मतदाता सूची में बड़े बदलाव
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जाने के बाद राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान लगभग 54 से 58 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जिससे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में नाराजगी फैल गई है। इस संदर्भ में, पार्टी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्वाचन क्षेत्र भवानिपुर में हटाए गए मतदाताओं के नामों की पुनः जांच कराने का आदेश दिया है।
भवानिपुर में मतदाता नामों की स्थिति
भवानिपुर सीट से लगभग 45 हजार मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। एक समाचार स्रोत के अनुसार, पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि किसी भी वैध मतदाता का नाम नहीं कटना चाहिए और हर हटाए गए नाम का भौतिक सत्यापन अनिवार्य है।
चुनाव आयोग की पहल
चुनाव आयोग ने 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया था। इस प्रक्रिया के तहत जारी ड्राफ्ट सूची में मौत, स्थानांतरण और अनुपस्थिति जैसे कारणों से लाखों नाम हटाए गए हैं।
टीएमसी की रणनीति
टीएमसी ने अपने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है कि वे सत्यापन और दावे-आपत्तियों की सुनवाई के दौरान प्रभावित मतदाताओं के साथ खड़े रहें। इसके अलावा, मोहल्ला स्तर पर ‘मे आई हेल्प यू’ कैंप जारी रखने का भी निर्देश दिया गया है, ताकि दस्तावेज़ और फॉर्म भरने में लोगों की मदद की जा सके। जरूरत पड़ने पर स्वयंसेवकों को घर जाकर सहायता देने के लिए भी कहा गया है।
हाई-प्रोफाइल सीटों पर प्रभाव
पहले चरण के बाद भवानिपुर, कोलकाता पोर्ट, बालीगंज और रासबिहारी जैसी प्रमुख सीटों से कुल मिलाकर लगभग 2.16 लाख नाम हटाए गए हैं, जो इन सीटों के कुल मतदाताओं का लगभग एक चौथाई है। भवानिपुर एक घनी शहरी सीट है, जहां उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा से आए लोगों की बड़ी संख्या निवास करती है।
भविष्य की संभावनाएँ
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बड़ी संख्या में मतदाताओं को ‘नो-मैपिंग’ श्रेणी में रखा गया है, जिनकी सुनवाई प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। इसके अलावा, करोड़ों मतदाताओं के विवरण की दोबारा जांच का कार्य जारी है, जिससे आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी तूल पकड़ सकता है और राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ने की संभावना है।