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पश्चिम बंगाल में बीएलओ की आत्महत्या: SIR प्रक्रिया से बढ़ता तनाव

पश्चिम बंगाल में बीएलओ की आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे राज्य में SIR प्रक्रिया के प्रति गहरा तनाव उत्पन्न हो गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर चिंता जताई है, जबकि भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने मतदाता नामों में कटौती की आशंका व्यक्त की है। जलपाईगुड़ी में एक बीएलओ की आत्महत्या ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। जानें इस मामले में क्या हो रहा है और इसके पीछे के कारणों पर एक नज़र।
 

पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया का खौफ

बंगाल में बीएलओ की आत्महत्या, एसआईआर और ममता बनर्जी.


पश्चिम बंगाल समेत देश के नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का कार्य चल रहा है। लेकिन, इस प्रक्रिया से पश्चिम बंगाल में जो भय और तनाव उत्पन्न हुआ है, वह अन्य किसी राज्य में नहीं देखा गया। बीएलओ द्वारा आत्महत्या की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में जलपाईगुड़ी में एक और बीएलओ ने आत्महत्या कर ली।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोगों ने आत्महत्या की है। तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव से पहले एसआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।


भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने पहले ही कहा था कि बंगाल में SIR के चलते एक करोड़ मतदाताओं के नाम कटेंगे, जिनमें से अधिकांश बांग्लादेशी या रोहिंग्या होंगे। चुनाव आयोग ने भी कहा है कि एसआईआर से पहले 34 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाएंगे, जो आधार कार्ड धारक मृत पाए गए हैं।


जलपाईगुड़ी में बीएलओ की आत्महत्या

राज्य के विभिन्न हिस्सों से एसआईआर के कारण मौतों की खबरें आ रही हैं। बुधवार को जलपाईगुड़ी के मालबाजार में एक बीएलओ का शव लटका हुआ मिला, जिससे हड़कंप मच गया। मृतक का नाम शांति मुनि उरांव (48) था।


बुधवार सुबह उनके घर के पास उनका शव बरामद हुआ। परिवार का आरोप है कि बीएलओ पर काम का अत्यधिक दबाव था, जिसके कारण शांति ने आत्महत्या की। राज्य के मंत्री बुलुचिक बड़ाइक ने मृतक के परिवार से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी, यह कहते हुए कि बीएलओ पर एसआईआर प्रक्रिया को दो महीने में पूरा करने का अमानवीय दबाव डाला जा रहा है।


शांति मुनि उरांव रंगामाटी ग्राम पंचायत में रहती थीं और आईसीडीएस कार्यकर्ता थीं। वह बूथ संख्या 101 पर बीएलओ के रूप में कार्यरत थीं। उनके शव के गले में गमछा लिपटा हुआ था।


काम के दबाव में आत्महत्या का आरोप

शांति मुनि के पति सुखू एक्का ने कहा, “मेरी पत्नी रोज सुबह जल्दी उठती थीं और खाना बनाती थीं। आज सुबह, जब मैं उठा, तो मैंने देखा कि खाना नहीं बना था और मेरी पत्नी भी नहीं थीं। फिर मैंने उन्हें लटके हुए देखा।”


सुखू एक्का का कहना है कि उनकी पत्नी को हर दिन कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था, क्योंकि वह बंगाली पढ़ नहीं पा रही थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दिन पहले, जब शांति ने बीएलओ के पद से इस्तीफा देने की कोशिश की, तो उन्हें काम जारी रखने के लिए कहा गया था।


उन्होंने बताया कि उन्हें सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक काम करना पड़ता था। मृतक का बेटा, डिसूजा एक्का, जो कॉलेज में पढ़ता है, ने भी कहा कि वे बंगाली पढ़ नहीं सकते थे, इसलिए वह अपनी मां की मदद नहीं कर पा रहे थे। शांति मुनि हमेशा दबाव की बात करती थीं।


चुनाव आयोग की जिम्मेदारी पर सवाल

बीएलओ की मौत की खबर मिलने के बाद, राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री बुलुचिक बड़ाइक उनके परिवार से मिलने गए। उन्होंने कहा, “कई मतदाता एसआईआर के डर से आत्महत्या कर चुके हैं। इस बार काम के दबाव में एक बीएलओ की मौत हो गई। चुनाव आयोग को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।”


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं इस घटना से स्तब्ध हूं। एसआईआर के लिए काम करते हुए एक बीएलओ ने आत्महत्या कर ली। एसआईआर शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है।”


उन्होंने आगे लिखा, “जिस काम को पूरा होने में तीन साल लगते थे, वह अब राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए दो महीने में हो रहा है। बीएलओ पर अमानवीय दबाव डाला जा रहा है।” उन्होंने इस ‘अनियोजित’ प्रक्रिया को समाप्त करने की मांग की।