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पति-पत्नी के रिश्ते में त्याग की आवश्यकता: प्रेमानंद महाराज की सलाह

हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है, जो केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का संबंध है। प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में एक वीडियो में बताया कि कब पति-पत्नी को एक-दूसरे से अलग होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पत्नी अपने पति के प्रति समर्पित है, तो उसे कभी नहीं छोड़ना चाहिए, भले ही वह कभी-कभी गाली देती हो। जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर और क्या कहा गया है।
 

विवाह का महत्व और पति-पत्नी का रिश्ता


हिंदू धर्म में विवाह केवल दो व्यक्तियों का बंधन नहीं है, बल्कि यह दो परिवारों के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है। पति और पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और सम्मान होना आवश्यक है, ताकि यह रिश्ता मजबूत बना रहे। हालाँकि, आजकल काम के तनाव और आपसी समझ की कमी के कारण कई बार पति-पत्नी के बीच विवाद उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे उनका रिश्ता संकट में पड़ जाता है। हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि पति-पत्नी को कब अलग हो जाना चाहिए।


कब करना चाहिए पति-पत्नी का त्याग

वृंदावन के आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, पति-पत्नी का रिश्ता अत्यंत पवित्र और अटूट होता है। लेकिन कुछ परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं, जब पति-पत्नी को एक-दूसरे से संबंध तोड़ने का निर्णय लेना चाहिए। महाराज ने कहा कि यदि पति व्यभिचारी है और अन्य महिलाओं के साथ संबंध रखता है, तो पत्नी को उसे त्याग देना चाहिए। इसी तरह, यदि पत्नी व्यभिचारी है और अन्य पुरुषों के साथ संबंध रखती है, तो पति को उसे छोड़ देना चाहिए।


किस पत्नी से कभी न तोड़े रिश्ता

प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि यदि पत्नी अपने पति के प्रति समर्पित है, उसे बहुत प्यार करती है और अपने विवाहिक रिश्ते का सम्मान करती है, लेकिन कभी-कभी गाली देती है, तो ऐसी पत्नी को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। यहाँ महाराज का तात्पर्य यह है कि यदि पत्नी अपने पति की गलतियों या अवगुणों के कारण उसे भला-बुरा कहती है, तो भी उस रिश्ते को समाप्त नहीं करना चाहिए। प्रेमानंद जी का मानना है कि पति-पत्नी को एक-दूसरे के दोषों को नजरअंदाज करते हुए प्रेम और सहयोग के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए।