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पतले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज: बढ़ते मामलों के कारण और रोकथाम के उपाय

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि भारत में पतले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह लेख इस समस्या के पीछे के कारणों, लक्षणों और रोकथाम के उपायों पर प्रकाश डालता है। जानें कि कैसे सही पोषण, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
 

पतले दिखने वाले भी हो सकते हैं बीमार

वर्तमान में, पतले और फिट दिखने वाले व्यक्तियों में भी टाइप 2 डायबिटीज के मामले बढ़ते जा रहे हैं। भारत में इसे 'लीन डायबिटीज' कहा जाता है, जो पतले लोगों में तेजी से फैल रहा है। चाहे आप युवा हों, ऑफिस में काम कर रहे हों या एथलीट, शरीर के अंदर छिपा हुआ फैट और इंसुलिन रेसिस्टेंस आपको इस बीमारी का शिकार बना सकता है।


वजन और बीएमआई से सेहत का अंदाजा नहीं

लोग अक्सर अपने वजन या बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) के आधार पर अपनी सेहत का मूल्यांकन करते हैं, लेकिन शोध बताते हैं कि यह तरीका पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है। इस लेख में हम जानेंगे कि पतले लोगों में डायबिटीज के मामले क्यों बढ़ रहे हैं, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचने के उपाय क्या हैं।


पतला होना हमेशा स्वास्थ्य का संकेत नहीं

कई लोग मानते हैं कि पतला होना स्वास्थ्य का प्रतीक है, लेकिन यह सच नहीं है। शरीर के आंतरिक अंगों के चारों ओर जमा फैट और इंसुलिन रेसिस्टेंस गंभीर मेटाबॉलिक समस्याओं का कारण बन सकते हैं। कई लोग बाहरी रूप से पतले दिखते हैं, लेकिन अंदर से गंभीर बीमारियों का सामना कर सकते हैं।


डायबिटीज का नया रूप

अब डायबिटीज केवल अधिक वजन वाले लोगों तक सीमित नहीं है। भारत में किए गए अध्ययनों के अनुसार, नए डायबिटीज मरीजों में लगभग एक तिहाई लोग पतले हैं। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे बचपन में पोषण की कमी, बदलती जीवनशैली और आनुवंशिक कारक। पतले लोग भी इंसुलिन रेसिस्टेंस, फैटी लिवर और अन्य मेटाबॉलिक समस्याओं का सामना कर सकते हैं।


कारण और प्रक्रिया

पतले लेकिन डायबिटीज से प्रभावित व्यक्तियों के शरीर में अंगों के चारों ओर फैट जमा हो जाता है। यह फैट विशेष रूप से लिवर और पैनक्रियास के पास जमा होता है, जो इंसुलिन के कार्य को बाधित करता है। बचपन में पोषण की कमी और बाद में कैलोरी से भरपूर आहार और कम सक्रिय जीवनशैली इस समस्या को बढ़ाते हैं। इसे 'थिन फैट पैटर्न' कहा जाता है।


रोकथाम और सावधानियां

गर्भावस्था में पोषण: गर्भावस्था के दौरान सही पोषण बच्चे के मेटाबॉलिज्म को मजबूत बनाता है और भविष्य में डायबिटीज का खतरा कम करता है।
संतुलित आहार: अपनी डाइट में उच्च प्रोटीन, फाइबर, फल और सब्जियां शामिल करें। जंक फूड और अधिक कैलोरी वाले भोजन से बचें।
नियमित व्यायाम: कार्डियो, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और योग जैसी गतिविधियां शरीर को स्वस्थ रखती हैं और इंसुलिन रेसिस्टेंस को कम करती हैं।
स्वास्थ्य जांच: साल में एक बार ब्लड शुगर और इंसुलिन स्तर की जांच अवश्य कराएं।


बीएमआई की सीमाएं

बॉडी मास इंडेक्स (BMI) केवल ऊंचाई और वजन का अनुपात बताता है, लेकिन यह शरीर में फैट की सही मात्रा या इंसुलिन रेसिस्टेंस का सही आकलन नहीं कर सकता। पतले लोग भी टाइप 2 डायबिटीज, फैटी लिवर और अन्य मेटाबॉलिक समस्याओं से प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए नियमित स्वास्थ्य जांच और सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है।