पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह: एक अनोखी शाही जीवनशैली
महाराजा भूपिंदर सिंह की अनोखी कहानी
भारत की स्वतंत्रता से पहले, देश में कई देसी रियासतें थीं, जिनमें से पटियाला रियासत के सातवें महाराजा भूपिंदर सिंह की कहानी सबसे अलग है। आइए, उनके अनोखे शौकों और जीवनशैली के बारे में जानते हैं।
अंग्रेज अफसरों को चौंकाने वाली जीवनशैली
भूपिंदर सिंह की भव्य जीवनशैली और उनकी जबरदस्त भूख की कहानियां आज भी लोगों को हैरान कर देती हैं। उनकी खाने की आदतें इतनी अद्भुत थीं कि अंग्रेज अफसर भी दंग रह जाते थे। कहा जाता है कि महाराजा अकेले ही पांच लोगों के बराबर खाना खा जाते थे।
चाय के साथ मुर्गा खाने की आदत
इतिहासकार डोमिनीक लापियर और लैरी कॉलिन्स की पुस्तक 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में उल्लेख है कि महाराजा भूपिंदर सिंह दिन में दस सेर खाना खा जाते थे। खासकर, चाय के साथ दो मुर्गे खाना उनके लिए सामान्य था, जो सुनकर पहलवान भी हैरान रह जाते थे।
रत्न जड़ित थालियों में भोजन
महाराजा का शाही किचन भारत के सबसे भव्य रसोईघरों में से एक माना जाता था। यहां 50 से अधिक बावर्ची काम करते थे, जो लखनऊ, अवध, काबुल और अफगानिस्तान से आए थे। रोजाना 40-50 प्रकार के व्यंजन तैयार होते थे, जिन्हें चांदी और सोने की थालियों में परोसा जाता था। कभी-कभी तो हीरे-मोती जड़े थालों का भी उपयोग होता था।
पटियाला पैग की प्रसिद्धि
एक बार एक अंग्रेज अफसर ने महाराजा के साथ डिनर किया और देखा कि उनकी थाली में 15 प्रकार के पराठे और कबाब थे। चाय के साथ दो मुर्गे खाना उनके लिए सामान्य था, और वे 'पटियाला पैग' का आनंद लेते रहते थे। महाराजा की जीवनशैली में शराब का भी महत्वपूर्ण स्थान था, और उनके 'पटियाला पैग' की आज भी चर्चा होती है।
महाराजा के हरम की विशेषता
भूपिंदर सिंह की ऊंचाई छह फीट चार इंच थी। वे केवल खाने-पीने के शौकीन नहीं थे, बल्कि उनके अन्य शौक भी प्रसिद्ध थे। उनके हरम में 350 महिलाएं थीं और उनके पास 500 बेहतरीन पोलो घोड़े थे। इतिहास में ऐसे राजा कम ही हुए हैं जिनकी भूख की इतनी कहानियां मशहूर हैं।