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पंजाब हाईकोर्ट ने युवक को बरी किया, 9 साल पुराना मामला पलटा

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 2016 के एक मामले में युवक को बरी कर दिया है, जिससे निचली अदालत का निर्णय पलट गया। युवक पर आरोप था कि वह बस में हथियार लेकर यात्रा कर रहा था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने उसके सोने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसे राहत दी। जानें इस मामले की पूरी कहानी और कोर्ट के फैसले के पीछे की वजहें।
 

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

9 साल बाद हाईकोर्ट ने पलटा फैसला

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 2016 के एक मामले में एक युवक को बरी कर दिया है, जिससे निचली अदालत का निर्णय भी पलट गया है। युवक पर आरोप था कि वह बस में हथियार लेकर यात्रा कर रहा था। पुलिस की जांच के दौरान उसे गिरफ्तार किया गया और बाद में निचली अदालत ने उसे 3 साल की सजा सुनाई थी, जिसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

यह मामला 2016 का है, जब युवक को सीटीयू बस में 32 बोर की पिस्टल और 16 ज़िंदा कारतूस के साथ पकड़ा गया था। उसके पास चंडीगढ़ में प्रवेश करने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं था।

जस्टिस संजय वशिष्ठ की बेंच ने निचली अदालत द्वारा 2022 में सुनाई गई सजा को पलटते हुए युवक अमृतपाल सिंह को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता यात्रा के दौरान सो रहा था, इसलिए यह मान लेना उचित नहीं है कि उसने जानबूझकर बिना अनुमति के हथियार लेकर किसी अपराध को अंजाम दिया।”

पुलिस को मिली थी सूचना

पुलिस को 11 नवंबर, 2016 को एक वायरलेस संदेश प्राप्त हुआ था कि एक युवक सीटीयू बस में हथियार लेकर जा रहा है। चंडीगढ़-पंजाब सीमा पर बस को रोका गया और युवक को पकड़ लिया गया, जिसके पास से एक 32 बोर की पिस्तौल और 16 ज़िंदा कारतूस बरामद हुए। पुलिस ने उसके पास से कोई वैध हथियार लाइसेंस नहीं मिलने के कारण शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।

नींद के कारण हुआ चंडीगढ़ में प्रवेश

युवक ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि वह जालंधर से बस में चढ़ा और मोहाली में उतरने के लिए टिकट खरीदा था। उसने यह भी कहा कि उसके पास वैध हथियार लाइसेंस था और वह नींद में होने के कारण चंडीगढ़ में प्रवेश कर गया। हाईकोर्ट ने कंडक्टर के बयान को भी सुना, जिसने युवक के दावों की पुष्टि की। कंडक्टर ने बताया कि युवक का व्यवहार बस में सामान्य था।

अदालत ने यह भी कहा कि युवक के पास हथियार के लिए वैध लाइसेंस था। अदालत ने कहा, “ऐसे सबूतों के अभाव में, यह नहीं माना जा सकता कि जिस क्षेत्र से बंदूक बरामद की गई थी, वह पंजाब राज्य के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।”