×

पंजाब पुलिस के पांच सेवानिवृत्त अधिकारियों को फर्जी मुठभेड़ मामले में दोषी ठहराया गया

मोहाली की सीबीआई अदालत ने 1993 में तरनतारन जिले में हुई दो फर्जी मुठभेड़ों में शामिल पंजाब पुलिस के पांच सेवानिवृत्त अधिकारियों को दोषी ठहराया है। इनमें भूपिंदरजीत सिंह, दविंदर सिंह, गुलबर्ग सिंह, सूबा सिंह और रघबीर सिंह शामिल हैं। इन अधिकारियों पर अवैध गिरफ्तारी, अत्याचार और हत्या का आरोप है। अदालत ने उन्हें हिरासत में ले लिया है और जल्द ही सजा सुनाई जाएगी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सीबीआई की जांच के निष्कर्ष।
 

सीबीआई अदालत का फैसला

मोहाली की एक सीबीआई अदालत ने 1993 में तरनतारन जिले में हुई दो फर्जी मुठभेड़ों में शामिल होने के आरोप में पंजाब पुलिस के पांच सेवानिवृत्त अधिकारियों को दोषी करार दिया है। इनमें पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) शामिल हैं। दोषी ठहराए गए अधिकारियों में पूर्व पुलिस उपाधीक्षक भूपिंदरजीत सिंह, पूर्व सहायक उप-निरीक्षक दविंदर सिंह, पूर्व सहायक उप-निरीक्षक गुलबर्ग सिंह, पूर्व निरीक्षक सूबा सिंह और पूर्व एएसआई रघबीर सिंह शामिल हैं।


अवैध गिरफ्तारी और हत्या का मामला

रानी वल्लाह गांव के सात व्यक्तियों, जिनमें चार विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) भी शामिल थे, को अवैध रूप से उठाया गया, उन पर अत्याचार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। इन अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक षड्यंत्र, हत्या, सबूत नष्ट करने और रिकॉर्ड में हेराफेरी करने का दोषी पाया गया। अदालत के फैसले के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया है और जल्द ही सजा सुनाई जाएगी।


सीबीआई की जांच का विवरण

सीबीआई की जांच में यह सामने आया कि सरहाली पुलिस स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन हाउस ऑफिसर गुरदेव सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने 27 जून, 1993 को एक सरकारी ठेकेदार के घर से विशेष पुलिस अधिकारियों शिंदर सिंह, देसा सिंह, सुखदेव सिंह और बलकार सिंह को हिरासत में लिया था। जांच में पता चला कि इन व्यक्तियों को डकैती के एक झूठे मामले में फंसाया गया था। इसके बाद, 2 जुलाई, 1993 को सरहाली पुलिस ने शिंदर सिंह, देसा सिंह और सुखदेव सिंह के खिलाफ सरकारी हथियारों के साथ फरार होने का मामला दर्ज किया।