नेहरू के दस्तावेज़: गांधी परिवार को लौटाने की मांग
नेहरू के दस्तावेज़ों की स्थिति
नेहरू के दस्तावेज सोनिया गांधी के पास
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से संबंधित निजी कागजात प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) से गायब नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्पष्ट किया है कि ये दस्तावेज 2008 में विधिवत रूप से गांधी परिवार को सौंपे गए थे। उन्होंने इन कागजात को राष्ट्रीय धरोहर मानते हुए इन्हें सार्वजनिक अभिलेखागार में वापस करने की अपील की है।
शेखावत ने जयराम रमेश से अनुरोध किया कि वे सोनिया गांधी को लिखित वचन का पालन करने के लिए कहें, ताकि इतिहास का निष्पक्ष अध्ययन संभव हो सके। सरकार ने पहले ही कहा था कि नेहरू के 51 कार्टन दस्तावेज सोनिया गांधी के पास हैं, जिनमें चिट्ठियां, डायरी और नोट्स शामिल हैं। ये दस्तावेज 2008 में गांधी परिवार के अनुरोध पर सौंपे गए थे, लेकिन अब तक वापस नहीं किए गए हैं।
दस्तावेज़ों की वापसी की प्रक्रिया
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पीएमएमएल के अभिलेखों में इन दस्तावेजों का पूरा रिकॉर्ड सुरक्षित है। असली सवाल यह है कि इन्हें सार्वजनिक अभिलेखागार में वापस क्यों नहीं किया गया है, जबकि इस संबंध में कई बार औपचारिक पत्राचार किया गया है। उन्होंने कहा कि जनवरी और जुलाई 2025 में भी इस विषय पर पत्र भेजे गए थे।
शेखावत ने जोर देकर कहा कि नेहरू के दस्तावेज़ निजी संपत्ति नहीं हैं, बल्कि ये राष्ट्रीय धरोहर हैं। ऐसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अभिलेखों को सार्वजनिक अभिलेखागार में होना चाहिए, ताकि विद्वान, शोधकर्ता और आम नागरिक इनसे लाभान्वित हो सकें।
इतिहास की पारदर्शिता पर सवाल
शेखावत ने यह भी सवाल उठाया कि यदि इतिहास को समझने और उस पर निष्पक्ष चर्चा की बात की जाती है, तो फिर इन मूल दस्तावेजों को सार्वजनिक पहुंच से दूर क्यों रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की नींव पारदर्शिता पर टिकी होती है और ऐतिहासिक अभिलेखों को सार्वजनिक करना नैतिक दायित्व भी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि संबंधित पक्ष जल्द ही सकारात्मक कदम उठाएंगे, ताकि देश की ऐतिहासिक धरोहर जनता और शोध जगत के लिए उपलब्ध हो सके।
जयराम रमेश को सलाह
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जयराम रमेश को यह जानना चाहिए कि सोनिया गांधी ने लिखित रूप में स्वीकार किया है कि ये दस्तावेज उनके पास हैं और उन्होंने सहयोग का आश्वासन भी दिया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है।
शेखावत ने स्पष्ट किया कि तथ्यहीन आरोप लगाने के बजाय, रमेश को सोनिया गांधी से आग्रह करना चाहिए कि वे अपने लिखित वचन का पालन करते हुए इन दस्तावेजों को पीएमएमएल को लौटाएं। इससे महत्वपूर्ण अभिलेखों तक पूर्ण पहुंच मिल सकेगी और नेहरू जी के दौर के सत्य का निष्पक्ष एवं पारदर्शी अध्ययन संभव हो सकेगा।