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नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों के बीच भारतीय संविधान की सराहना

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने नेपाल में चल रहे हिंसक प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए भारतीय संविधान की सराहना की। उन्होंने पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं की तुलना की और बताया कि कैसे नेपाल में जेनरेशन ज़ेड के नेतृत्व में भारी हिंसा हो रही है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है, जिसके चलते सेना ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। इस बीच, जेलों से कैदियों के भागने की घटनाएं भी सामने आई हैं। जानें इस संकट की पूरी कहानी।
 

भारत के मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को नेपाल में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों का उल्लेख करते हुए भारतीय संविधान की प्रशंसा की। सुप्रीम कोर्ट में प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। उन्होंने पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, "देखिए हमारे पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है..."। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने भी मुख्य न्यायाधीश की बात का समर्थन करते हुए बताया कि बांग्लादेश में भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। नेपाल में जेनरेशन ज़ेड के नेतृत्व में भारी हिंसा का सामना किया जा रहा है। 


विरोध प्रदर्शनों का कारण

प्रारंभ में ये विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया पर सरकार के प्रतिबंधों के कारण शुरू हुए थे, लेकिन बाद में यह भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में बदल गए। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर कई सरकारी और निजी संपत्तियों में आग लगा दी। कई नेताओं और सरकारी अधिकारियों के घरों और दफ्तरों में भी तोड़फोड़ की गई। शांति की अपीलों को नजरअंदाज करने के बाद, मंगलवार को सेना ने देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, सेना ने पूरे देश में कड़े प्रतिबंध लागू किए हैं, जिससे लोगों की आवाजाही और सभाओं पर रोक लग गई है। ये कदम तब उठाए गए हैं जब स्थिति लगातार बिगड़ रही है और सुरक्षा बल स्थिरता बहाल करने के प्रयास कर रहे हैं। 


जेन-जेड प्रदर्शनकारियों की बैठक

नेपाल में जेन-जेड प्रदर्शनकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक जल्द ही होने की उम्मीद है। इस बैठक का उद्देश्य उनके आंदोलन के अगले कदमों पर चर्चा करना और मौजूदा संकट के दौरान भविष्य की रणनीतियों को तैयार करना है। इस बीच, तीन दिनों से चल रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच जेलों से भागने का एक गंभीर मामला सामने आया है। 18 जिलों की जेलों से 6,000 से अधिक कैदी फरार हो गए हैं। रिपोर्टों के अनुसार, कुछ कैदी गेट तोड़कर, जबकि अन्य चारदीवारी तोड़कर भागने में सफल रहे हैं।