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नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ युवा पीढ़ी का उग्र प्रदर्शन

नेपाल में हाल ही में सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध के खिलाफ जनरेशन Z का गुस्सा भड़क उठा है, जिसके चलते हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। इस स्थिति में नेपाल सेना ने नियंत्रण संभाल लिया है। युवा पीढ़ी की सोशल मीडिया के प्रति आसक्ति और इसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभावों पर चर्चा करते हुए, विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे यह पीढ़ी वास्तविक संबंधों की कमी और सामाजिक दबाव के कारण सोशल मीडिया पर निर्भर हो गई है। जानें इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं के बारे में।
 

नेपाल में स्थिति और युवा पीढ़ी की प्रतिक्रिया


नेपाल में पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। विशेष रूप से, युवा वर्ग, खासकर जनरेशन Z, सरकार द्वारा सोशल मीडिया ऐप्स पर लगाए गए प्रतिबंध के कारण गुस्से में है। इस गुस्से के चलते यहाँ पिछले कुछ दिनों से हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। हालात को देखते हुए, नेपाल सेना ने अब देश की कमान अपने हाथ में ले ली है।


स्थिति नियंत्रण में, लेकिन युवा पीढ़ी की चिंताएँ

वर्तमान में, स्थिति नियंत्रण में है और अगले 48 घंटों के लिए कर्फ्यू लागू किया गया है। नेपाल में इस उथल-पुथल के बाद, जनरेशन Z फिर से सुर्खियों में है। यह पीढ़ी अक्सर किसी न किसी कारण से चर्चा में रहती है, और इस समय यह सोशल मीडिया के प्रति अपने प्रेम के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है। सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध के कारण गुस्से में, इस पीढ़ी ने न केवल देशभर में आगजनी और तोड़फोड़ की, बल्कि नेपाल की सरकार को भी गिरा दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि जनरेशन Z सोशल मीडिया के प्रति इतनी आसक्त क्यों है। इस बारे में जानने के लिए हमने वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक मोनिका शर्मा से बात की।


जनरेशन Z की सोशल मीडिया की लत के कारण

क्यों हैं जनरेशन Z सोशल मीडिया के प्रति आसक्त? जनरेशन Z में वास्तविक संबंधों की कमी है, जिससे वे लोगों के साथ बातचीत कर सकें। समाज में जीवित रहने के लिए लोगों को संबंधों की आवश्यकता होती है, और इसलिए जनरेशन Z सोशल मीडिया से जुड़ाव महसूस करती है। पोस्ट पर मिले लाइक्स, शेयर और कमेंट्स डोपामाइन को बढ़ाते हैं, जो उनके लिए एक लत बन जाती है।


सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव

सोशल मीडिया का जनरेशन Z पर नकारात्मक प्रभाव क्या है? सोशल मीडिया का जनरेशन Z पर कई तरीकों से प्रभाव पड़ता है, लेकिन अधिकांश प्रभाव नकारात्मक होते हैं। इसके नकारात्मक प्रभावों में अकेलापन, अवसाद, चिंता, असंतोष, खराब नींद और आहार, सामाजिक अलगाव, सामाजिक चिंता, शरीर की छवि की समस्याएँ, और साइबरबुलिंग शामिल हैं।


मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव

सोशल मीडिया मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है? रोज़ाना कई लोगों के साथ अपने जीवन की तुलना करने से आत्म-सम्मान में कमी, आत्म-घृणा, आत्म-संदेह, और हीनता का अनुभव होता है, जो आत्म-चिंता, अवसाद, आक्रामकता, आत्म-हानिकारक व्यवहार, और आत्महत्या के विचारों की ओर ले जाता है।


अभिभावकों के लिए सुझाव

अभिभावकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? अभिभावकों को नियमित रूप से बच्चों से उनके जीवन और ऑनलाइन अनुभवों के बारे में बात करनी चाहिए। इससे आपको उनके सोशल मीडिया गतिविधियों और ऑनलाइन दोस्तों के बारे में जानकारी मिलेगी। इसके अलावा, इंटरनेट उपयोग के लिए समय निर्धारित करें, स्क्रीन-फ्री समय और गतिविधियाँ बनाएं, और उन्हें सोशल मीडिया, ऑनलाइन इंटरनेट के खतरों के बारे में जागरूक करें।


सोशल मीडिया पर बिताने का सही समय

सोशल मीडिया पर कितना समय बिताना सही है? रोज़ाना 40-45 मिनट का उपयोग पर्याप्त है। जो लोग घंटों तक सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उन्हें इसे धीरे-धीरे कम करने की कोशिश करनी चाहिए।


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